गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के मोरबी में 105 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण करते हुए कहा कि भारत को आत्मनिर्भर बनाये जाने की आवश्यकता है और इसके लिए स्वदेशी वस्तुओं की खरीद पर ध्यान देना होगा।
मोदी ने कहा कि यदि लोग आगामी 25 साल तक स्थानीय उत्पाद का इस्तेमाल करते हैं, तो देश को बेरोजगारी की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। पीएम ने कहा, ”भारत अब गतिहीन नहीं बना रह सकता… हम जागे हुए हैं या सो रहे हैं, हम जहां हैं, वहीं बने नहीं रह सकते। वैश्विक स्थिति ऐसी है कि पूरी दुनिया यह सोच रही है कि ‘आत्मनिर्भरÓ कैसे बनना है।ÓÓ3
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मोदी ने कहा, ”भारत के पास पहले से ऐसी ताकत है कि यहां ज्यादा कुछ किए बिना पर्यटन का विकास किया जा सकता है।ÓÓ उन्होंने पर्यटन स्थलों को साफ रखने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि अन्य लोगों को भी ऐसा करने की प्रेरणा मिल सके। मोदी ने कहा कि देश के आध्यात्मिक नेताओं ने 1857 से पहले लोगों में आध्यात्मिक जागृति पैदा करके भारत की आजादी को नई ताकत प्रदान की। भारत की आजादी का संघर्ष 1857 में शुरू हुआ था। उन्होंने कहा, ”हनुमानजी ने नि:स्वार्थ सेवा और श्रद्धा की जो भावना दिखाई, उससे भारत मजबूत होगा।ÓÓ
उन्होंने कहा, ”मैं देश के संतों से अनुरोध करूंगा कि वे केवल स्थानीय उत्पाद खरीदने की लोगों को शिक्षा दें। ‘वोकल फॉर लोकलÓ मुख्य चीज है। हमारे घरों में, हमें केवल अपने लोगों की बनाई चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए। कल्पना कीजिए, इससे कितनी अधिक संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा।ÓÓ मोदी ने कहा, ”हमें विदेशी वस्तुएं अच्छी लग सकती हैं, लेकिन इनमें हमारे लोगों की कड़ी मेहनत, हमारी मिट्टी की सुगंध का एहसास शामिल नहीं होता।ÓÓ उन्होंने कहा, ”यदि आगामी 25 साल में हम केवल स्थानीय उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं, तो हमारे लोग बेरोजगार नहीं रहेंगे।ÓÓ प्रधानमंत्री ने सौराष्ट्र क्षेत्र के मोरबी में ‘परम पूज्य केशवानंद जीÓ के आश्रम में भगवान हनुमान की प्रतिमा का अनावरण किया। यह ‘हनुमानजी चार धामÓ परियोजना के तहत देश भर की चारों दिशाओं में स्थापित की जा रही चार प्रतिमाओं में से दूसरी प्रतिमा है।
इस श्रृंखला में पहली प्रतिमा उत्तर में 2010 में शिमला में स्थापित की गई थी और दक्षिण भारत में रामेश्वमर में प्रतिमा का काम आरंभ हो गया है मोदी ने भगवान हनुमान को सभी के लिए एक प्रेरणा और वनों में रहने वाली सभी प्रजातियों और आदिवासियों के सम्मान का अधिकार सुनिश्चित करने वाला बताते हुए कहा कि हनुमान ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारतÓ के एक महत्वपूर्ण सूत्र हैं।
उन्होंने कहा कि भगवान हनुमान राम कथा का अहम हिस्सा हैं और राम कथा की भावना ईश्वर के प्रति श्रद्धा के जरिए हरेक को एकजुट करती है।
उन्होंने कहा, ”यह भारतीय आस्था, आध्यात्मिकता, हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा की ताकत है।ÓÓ मोदी ने कहा कि इसी भावना ने स्वतंत्रता से पहले के युग में भारत में विभिन्न वर्गों के लोगों को जोड़ा और देश को स्वतंत्रता प्राप्त करने का संकल्प लेने में मदद की। उन्होंने कहा कि भारत की आस्था एवं संस्कृति सद्भाव, समभाव और समावेशिता से उभरती है। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने स्वयं सक्षम होने के बावजूद एक कार्य को करने के लिए सभी को साथ लेकर ‘सबका साथ, सबका विकासÓ का उदाहरण पेश किया। मोदी ने खोखरा हनुमान बांध से अतीत में अपने जुड़ाव का भी जिक्र किया, जहां प्रतिमा की स्थापना की गई है।
उन्होंने कहा कि वह उनके लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है। उन्होंने क्षेत्र में 1979 की मच्छू बांध आपदा को याद करते हुए कहा कि उस आपदा से सीखे गए सबक ने उन्हें 2001 के भुज भूकंप से निपटने में मदद की। उन्होंने कहा कि मोरबी को कच्छ में पर्यटन के विकास से भी लाभ हुआ है। उन्होंने गिरनार में रोपवे जैसे अन्य पर्यटक आकर्षणों का भी उल्लेख किया और कहा कि इससे लोगों को एक पहाड़ी के ऊपर स्थित मंदिर तक पहुंचने में मदद मिली है।
सांसद हरभजन सिंह वेतन से शिक्षा में सहयोग करेंगे
चंडीगढ़ । राज्यसभा सदस्य और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने शनिवार को कहा कि उच्च सदन के सदस्य के रूप में उन्हें जो वेतन मिलेगा, वह किसानों की बेटियों की शिक्षा के लिए देंगे। पिछले महीने राज्यसभा के लिए चुने गए सिंह ने कहा कि वह देश की बेहतरी के लिए वह सब कुछ करेंगे जो वह कर सकते हैं। सिंह ने ट्वीट में कहा, ”राज्यसभा सदस्य के रूप में मैं किसानों की बेटियों की शिक्षा और कल्याण के लिए उच्च सदन के वेतन का योगदान देना चाहता हूं। मैं अपने राष्ट्र की बेहतरी में योगदान करने के लिए आया हूं और मैं वह सब कुछ करूंगा जो मैं कर सकता हूं। जय हिन्द।ÓÓ
ऐसा क्या है जो प्रधानमंत्री को ‘हेट स्पीचÓ के खिलाफ खड़े होने से रोकता है: सोनिया गांधी
नयी दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शनिवार को कहा कि ‘कट्टरता, नफरत और विभाजनÓ देश की नींव को हिला रहे हैं और समाज को ऐसी क्षति पहुंचा रहे हैं, जिसकी शायद ही कभी भरपाई हो सके। उन्होंने यह सवाल भी किया कि ऐसा क्या है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नफरत भरे बोल (हेट स्पीच) के खिलाफ खड़े होने से रोकता है? सोनिया गांधी ने एक अंग्रेजी दैनिक में लिखे लेख में कहा, ” त्योहारों के साझा उत्सव, विभिन्न आस्थाओं के समुदायों के बीच अच्छे पड़ोसी वाले संबंध, ये सब युगों से हमारे समाज की गौरवपूर्ण विशेषता है। संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए इसे कमजोर करना भारतीय समाज और राष्ट्रीयता की समग्र और समन्वित नींव को कमजोर करना है।ÓÓ उन्होंने यह टिप्पणी देश के कई स्थानों पर रामनवमी के अवसर सांप्रदायिक झड़प, हिजाब और अजान से संबंधित विवाद की पृष्ठभूमि में की है। सोनिया गांधी ने दावा किया, ”भारत को स्थायी उन्माद की स्थिति में रखने के लिए इस विभाजनकारी योजना का हिस्सा और भी घातक है। सत्तासीन लोगों की विचारधारा के विरोध में सभी असहमतियों और राय को बेरहमी से कुचलने की कोशिश की जाती है। राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जाता है।ÓÓ उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ” भारत की विविधताओं को स्वीकार करने के बारे में प्रधानमंत्री जी की ओर से बातें तो बहुत हो रही है। लेकिन कड़वी हकीकत यह है कि जिस विविधता ने सदियों से हमारे समाज को परिभाषित किया है, उसका इस्तेमाल उनके राज में हमें बांटने के लिए किया जा रहा है।ÓÓ उन्होंने कहा, ”सामाजिक उदारवाद का बिगड़ता माहौल और कट्टरता, नफरत और विभाजन का प्रसार आर्थिक विकास की नींव को हिला देता है।ÓÓ कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि ऐसा क्या है, जो प्रधानमंत्री को स्पष्ट और सार्वजनिक रूप से ‘हेट स्पीचÓ के खिलाफ खड़े होने से रोकता है, चाहे यह ‘हेट स्पीचÓ कहीं से भी आए? सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि डर, धोखा और डराना-धमकाना इस तथाकथित मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट की रणनीति के स्तंभ बन गए हैं। उन्होंने कहा, ”यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कर्नाटक में जो किया जा रहा है, कॉरपोरेट जगत से जुड़े कुछ साहसी लोग उसके खिलाफ बोल रहे हैं। इन साहसी आवाजों के खिलाफ सोशल मीडिया में एक अनुमानित प्रतिक्रिया हुई है। लेकिन चिंताएं बहुत व्यापक हैं- और बहुत वास्तविक भी हैं।ÓÓ सोनिया गांधी ने कहा, ”संविधान सभा द्वारा 1949 में संविधान को अंगीकृत किये जाने के उपलक्ष्य में मोदी सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने की प्रथा शुरू की है। यह हर संस्था को व्यवस्थित रूप से शक्तिहीन करते हुए संविधान का पालन करने जैसा है। यह सरासर पाखंड है।ÓÓ उन्होंने दावा किया, ”देश का एक उज्ज्वल भविष्य बनाने और युवा प्रतिभाओं का बेहतर इस्तेमाल करने में हमारे संसाधनों का उपयोग करने के बजाय, एक काल्पनिक अतीत के नाम पर वर्तमान को नया रूप देने के प्रयासों में समय और मूल्यवान संपत्ति दोनों का उपयोग किया जा रहा है।ÓÓ
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