श्रीगंगानगर (टीएसएन)। लायलपुर फार्म हाउस की जमीन पुलिस-प्रशासन के लिए कानून-व्यवस्था का मुद्दा बन गयी है। जवाहरनगर थाना पुलिस एक मुकदमा दर्ज कर चुकी है जिसमें महिलाओं को नामजद करवाया गया था। इस मामले में एसपी ने सीओ सिटी को मौका रिपोर्ट देने के लिए अधिकृत भी किया था तो दूसरी ओर बावरी समाज की महिलाएं अपने बच्चों को बेघर किये जाने की आशंका के कारण आंदोलित हैं। सैकड़ों लोग इस घटना से प्रभावित होंगे।

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लायलपुर फार्म हाउस का विवाद सालों से इस जमीन के पूर्व और पश्चिम की तरफ बंद दरवाओं के कारण दबे हुए थे। सिर्फ प्रशासनिक, पुलिस अधिकारी ही जानते थे कि लगभग 15 मुरब्बा इस जमीन को लेकर भारी विवाद भी है और एक-दो परिवारों ने इस विशाल जमीन पर गैर कानूनी तरीके से कब्जा करते हुए दोनों तरफ साइड में गेट लगा दिये थे। राजस्व रास्ता है, वह भी बंद है।
रिद्धि-सिद्धि के डवल्पर मुकेश शाह-सुरेश शाह ने इस जमीन की खरीद की तो उस समय भी पूरी जानकारी सामने नहीं आयी थी।

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धीरे-धीरे इस जमीन को लेकर एक-एक राज बाहर आ चुका है। पूर्व और पश्चिम दिशा की तरफ दो गेट थे। पूर्व दिशा की तरफ एक अन्य विशेष जाति के लोगों को काश्तकारी के नाम पर बरसों से बैठाया हुआ था और वे बाहरी व्यक्ति को प्रवेश की अनुमति भी नहीं देते थे। वहीं पश्चिम दिशा से बावरी समाज के लोगों को जगह दी गयी थी। यह महिलाएं भी खेतों की देखभाल करती थीं और अन्य कार्य करती थीं।

पूर्व पार्षद रमेश डागला बताते हैं, जब पूर्वी दिशा की तरफ से जमीन पर प्रवेश किया गया था, तो उस समय भी वहां रहने वाले लोगों को खदेड़ दिया गया था। हालांकि विवाद गहराया तो जमीन खरीद करने वाली कंपनी ने वार्ता के जरिये हल करने का दावा किया था। विवाद उस समय थम गया था। चक पांच जैड के मुरब्बा नंबर 28 जो डीएवी कॉलेज के साथ चिपता हुआ इलाका है, उसका मालिकाना हक किसी एक व्यक्ति के नाम पर नहीं था। मुश्तरका खाता था।

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तहसीलदार और उप पंजीयन विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत और पद का दुरुपयोग करते हुए इस मुरब्बा के स्वयं स्तर पर ही अनेक पार्ट करते हुए रजिस्ट्री व नामांतरण जैसी कानूनी कार्यवाही को पूर्ण कर दिया। जिस समय यह कार्यवाही हुई, उस समय संजय अग्रवाल तहसीलदार था। उसके पास ही एसआर का भी चार्ज था। सब रजिस्ट्रार के रूप में कार्यवाही को पूर्ण किया। इसके उपरांत तहसीलदार, उप पंजीयक, एसडीएम अधिकारी बदल गये। सब अधिकारी अपना-अपना तबादला करवाने के बाद चले गये ताकि उनको लेकर किसी प्रकार की चर्चा ही नहीं हो।

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डागला बताते हैं कि यह भूमि रक्षा मंत्रालय के एक विशाल कार्यालय के सामने है और मिलिट्री अस्पताल से चिपती है। रक्षा मंत्रालय की भी साधुवाली रोड से सीमांत क्षेत्र (हिन्दुमलकोट रोड/त्रिपुली) की तरफ जाने के लिए कुछ शर्तें भी हैं। रक्षा मंत्रालय अपनी आवश्यकताओं के बारे में संबंधित पक्ष को जानकारी दे चुका है। उन्होंने बताया कि डीएवी कॉलेज के साथ एक रास्ता बनाया जाना है। इस रास्ते पर बावरी समाज के लोग रहते हैं। इस कारण मुरब्बा नंबर 28 को अस्मित के नाम पर करवा दिया गया ताकि कंपनी अधिकारी किसी तरह के विवादों की चर्चाओं में नहीं आयें। जमीन का इंतकाल होने के पश्चात ही अस्मित ने बावरी समाज की महिलाओं की झोपडिय़ों को हटाने की कार्यवाही आरंभ कर दी थी।

मुकेश शाह ने मुनीम को भी बना दिया दर्जनों बीघा भूमि का मालिक
सुनील गोयल पुत्र निरंजनलाल निवासी आरजे-1, रिद्धि-सिद्धि प्रथम, जो रिद्धि-सिद्धि डवल्पर्स मुकेश शाह-सुरेश शाह के यहां कार्यरत है। यह ऑन रिकॉर्ड है। 12 अप्रेल 2022 को सदर पुलिस थाना में 165 नंबर एफआईआर दर्ज करवायी गयी थी। इस रिपोर्ट में सुनील गोयल ने स्वयं को मुकेश शाह की कंपनी का कर्मचारी बताया है। उसी सुनील गोयल के नाम पर काफी बीघा की रजिस्ट्री होती है। इसके उपरांत सुनील गोयल भी अस्मित के नाम पर एक रजिस्ट्री करवाता है। यह रजिस्ट्री दिसंबर 2022 को हुई थी। वहीं सुनील गोयल के नाम पर इसके अतिरिक्त मुरब्बा नंबर 11 के किला नंबर 1/1, 2, 3, 4, 5/1, 5/2, मुरब्बा नंबर 17 में किला नंबर 13/1, मुरब्बा नंबर 27 में 1/1, 1/2,1/3, 2/3, 2/4, 2/5, 9/1, 10, 11/2, 12/2 दर्ज है।

 

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स्वयं को सभी नियमों को पूर्ण करने का ढोल बजाने वाले मुकेश शाह इस तरह के प्रश्रों के उत्तर देने से बचने का ही प्रयास नहीं करते बल्कि सामने से भी सवाल करते हैं।

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