मफरूर अमृतपालसिंह पंजाब पुलिस की पकड़ से दूर, एनआईए की हो सकती है एंट्री

अमृतसर के अजनाला में 23 फरवरी को पुलिस थाना पर कब्जा करके अपने साथी को आजाद करवाने वाला अमृतपालसिंह अब पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए छिपता फिर रहा है। अपने नाम के विपरीत पिछले कुछ महीनों से पंजाब के युवाओं को गुमराह करते हुए उनमें जहर घोलने का प्रयास कर रहा था।

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चण्डीगढ़। अमृतसर के अजनाला में 23 फरवरी को पुलिस थाना पर कब्जा करके अपने साथी को आजाद करवाने वाला अमृतपालसिंह अब पुलिस की पकड़ से दूर रहने के लिए छिपता फिर रहा है। अपने नाम के विपरीत पिछले कुछ महीनों से पंजाब के युवाओं को गुमराह करते हुए उनमें जहर घोलने का प्रयास कर रहा था।

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रविवार को जालंधर पुलिस के आयुक्त ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा, अभी चोर-पुलिस का खेल चल रहा है। वह पकड़ में नहीं आ पाया है। उसके वाहन से नाजायज हथियार भी मिले थे। वहीं एक संवाद सेवा ने समाचार दिया है कि अमृतपाल को पुलिस ने मफरूर घोषित कर दिया है। संवाद सेवा के अनुसार एक अधिकारी ने बताया कि अमृत पाल पिछले कुछ समय से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सम्पर्क में था। वह आनंदपुर खालिस्तान फोर्स के नाम से एक संगठन भी तैयार करने की प्लानिंग कर रहा था।

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वहीं अमृतपालसिंह को वित्तीय सहायता देने वाले दलजीत सिंह कलसी नामक व्यक्ति को भी गिरफ्तार किया गया है। वह पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा होना बताया जा रहा है। इसके अतिरिक्त अन्य समर्थकों की तलाश में भी छापेमारी की जा रही है।
अकाली दल और आतंकवाद
पंजाब में अनेक शिक्षाविदों का मानना है, शिरोमणी अकाली दल ने पंजाब में अलगाववाद की भावना को पैदा किया। आनंदपुर साहिब में एक बैठक का आयोजन हुआ और उसमें प्रस्ताव पारित किया गया कि रक्षा, विदेश, मुद्रा, संचार सहित पांच विभागों को छोड़कर पंजाब को स्वायत्ता दी जाये। 1973 में पारित इस प्रस्ताव को आनंदपुर साहिब प्रस्ताव के नाम से जाना जाता है और इसके बाद यह भावना पंजाब में घर-घर तक पहुंचायी गयी। यह एक चिंगारी सुलगायी गयी थी और इसके बदलें में अकाली दल एक मजबूत राजनीतिक दल बन गया था। क्षेत्रीय दल के रूप में पहचान बनाने के बाद उसने पंजाबी बहुल इलाकों को पंजाब में मिलाने तथा चण्डीगढ़ को सिर्फ पंजाब की राजधानी के रूप में पहचान देने की मांग भी जोर-शोर से उठायी।
भिंडरावाला का पंजाब में आतंक
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में अपने समर्थकों के साथ भारी संख्या में हथियारों सहित छिपकर सैकड़ों भारतीय सैनिकों को शहीद करने वाले आतंकवादी जरनैलसिंह भिंडरावाला का सार्वजनिक जीवन भी 70 के दशक में ही सामने आया था। शिरोमणी अकाली दल की ताकत को कमजोर करने के लिए कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भिंडरावाला को एक बड़ा पंजाबी संत-नेता के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास आरंभ कर दिये। ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार 1984 को जून माह में हुआ। 1 जून 1984 को सीआरपीएफ ने पंजाब के अमृतसर शहर को कब्जे में ले लिया था और अनेक सेवाओं को प्रतिबंधित कर दिया था। 3 से 5 जून के बीच तीन पत्रकारों-छायाकारों जिसमें बीबीसी के मार्क टुली, सुभाष किदवेकर आदि ने भिंडरांवाला से मुलाकात की थी और इन तीनों ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि सीआरपीएफ की घेराबंदी के बाद जरनैलसिंह की आंखों में भय और गुस्सा दोनों था। मेजर शाहबेग जिसने स्वर्ण मंदिर को किले में तब्दील कर दिया था, उस समय भिंडरावाला के साथ ही था। भारतीय सेना से कोर्ट मार्शल होने के कारण मेजर शाहबेग सिंह अपना बदला लेने के लिए भिंडरावाला के मूवमेंट में शामिल हो गया था।
केन्द्रीय एजेंसियों की हालात पर नजर
केन्द्रीय गृहमंत्रालय और पंजाब सरकार लगातार सम्पर्क में हैं। वहीं आईएसआई के साथ संबंध सामने आने के उपरांत केन्द्रीय जांच एजेंसी एनआईए भी सामने आ सकती है, जिस तरह से अवैध हथियार, वॉकी-टॉकी और अन्य सामान बरामद हुआ है, उसके उपरांत इस पूरे मामले की जांच की जा सकती है। वहीं यह भी सामने आ रहा है कि कुछ साथियों को पंजाब से अन्य राज्यों में भी स्थानांतरित किया जा रहा है।
इंटरनेट सेवाएं सोमवार तक बाधित
पंजाब में इंटरनेट सेवाओं को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। रविवार को 12 बजे तक ब्लक एसएमएस तथा इंटरनेट सेवाओं को प्रतिबंधित किया गया था, जिसके बाद उसको सोमवार तक के लिए बढ़ा दिया गया। इसका कारण यह भी माना जा रहा है कि अभी तक मफरूर को पकड़ा नहीं जा सका है।

VIAThe SandhyaDeep Team
SOURCESatish Beri
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