शुद्ध शाकाहारी केक के जरिये शोहरत हासिल कर चुकी हैं ‘मल्लिकाÓ

मल्लिका ने दिल्ली के कॉलेज से शेफ का कोर्स किया। शेफ के क्षेत्र में कोर्स पूरा करने के दौरान ही कोरोना काल आ गया और मल्लिका श्रीगंगानगर में आ गयी। इस दौरान उसने अपने अभ्यास को निरंतर बनाये रखने के लिए फूड एण्ड ब्रेकरी रुचि दिखाई। उनके बनाये गये केक जिस भी व्यक्ति ने एक बार खाया तो वह इतिना लजीज लगा कि वह मुंह से दूसरी बार मांगने लगा।

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श्रीगंगानगर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, समाजसेवी राजू छाबड़ा की छोटी पुत्री मल्लिका छाबड़ा, जिन्होंने स्थानीय क्षेत्र में केक की इंडस्ट्री को ही बदलकर रख दिया है। उनके बनाये हुए केक को खाकर हर कोई उनकी कला का मुरीद हो जाता है।

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जवाहरनगर निवासी राजू छाबड़ा बताते हैं कि उनके परिवार में दो पुत्रियां हैं। बड़ी पुत्री को पढ़ाई क्षेत्र में रुचि थी और उसको उसी क्षेत्र में आगे बढ़ा बढ़ाया। बड़ी पुत्री ने बीकॉम और एमबीए के बाद अपना प्रोफेशन का चयन कर लिया है और उसी दिशा में आगे बढ़ रही है। इसी तरह से छोटी पुत्री मल्लिका छाबड़ा को खाद्य पदार्थ क्षेत्र में कार्य करने में रुचि थी तो उन्होंने दिल्ली के प्रसिद्ध कॉलेज में उनका एडमिशन करवाया।

मल्लिका ने दिल्ली के कॉलेज से शेफ का कोर्स किया। शेफ के क्षेत्र में कोर्स पूरा करने के दौरान ही कोरोना काल आ गया और मल्लिका श्रीगंगानगर में आ गयी। इस दौरान उसने अपने अभ्यास को निरंतर बनाये रखने के लिए फूड एण्ड ब्रेकरी रुचि दिखाई। उनके बनाये गये केक जिस भी व्यक्ति ने एक बार खाया तो वह इतिना लजीज लगा कि वह मुंह से दूसरी बार मांगने लगा।

इस तरह से मल्लिका के बनाये गये शुद्ध शाकाहारी केक धीरे-धीरे मोहल्ले और उसके उपरांत पूरे शहर में प्रसिद्ध होने लगे। अब उनको घर बैठे ही केक के ऑर्डर मिलने लगे। इस तरह से मल्लिका का यह व्यवसाय बन गया है और अब थ्रटीडेज पेस्टिरीज श्रीगंगानगर का एक नाम बन गया है। एक पहचान बन गया है। राजू छाबड़ा बताते हैं कि एग्ज निर्मित केक भी उपलब्ध करवाये जाते हैं और जो शुद्ध शकाहारी केक होते हैं, उनकी शुद्धता का विशेष ख्याल रखा जाता है। इसी तरह से केक आदि के लिए सामान अन्य शहरों से भी मंगवाया जाता है ताकि उसका जायका एक अलग प्रकार का हो। केक की अलग-अलग वैरायटीज पूरी शुद्धता और उच्चस्तर के स्वाद के साथ उपलब्ध होती है।

अरोड़वंश समाज मांग रहा है छाबड़ा और रहेजा से महत्ती भूमिका

श्रीगंगानगर। श्री अरोड़वंश सनातन धर्म मंदिर ट्रस्ट के चुनाव हो चुके हैं और नया अध्यक्ष भी निर्वाचित हो चुका है। अभी कार्यकारिणी के संभावित नाम सार्वजनिक नहीं हो पाये हैं। इस तरह की स्थिति में यह चर्चा हो रही है कि आगामी दिनों में ट्रस्ट में किन लोगों को स्थान मिल सकता है।
पिछले एक सप्ताह के दौरान ‘द सांध्यदीपÓ ने अनेक मौजिज लोगों से बात की है। उनमें वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक, अधिवक्ता आदि शामिल हैं। इन सभी का मानना है कि पद को सिर्फ इसलिए नहीं दिया जाना चाहिये कि वह नाम बड़े हैं। जो लोग समाज के लिए बेहतर कर सकते हैं। समाज के लिए समय निकाल सकते हैं। समाज को एक नयी दिशा दे सकते हैं। समाज को एकजुट कर सकते हैं। ऐसे लोगों को आगे लाया जाना चाहिये।

वरिष्ठ पत्रकार अमित नागपाल का भी मानना है कि जागरुक और बुद्धिजीवियों की एक टीम बनायी जानी चाहिये। जिनके पास नये कुछ करने की सोच हो और वे मजबूत तरीके से उस सोच को धरातल पर उतार सकें। उन्होंने कहा कि नयी टीम चुनने का अधिकार अध्यक्ष के पास है। वहीं समाज में अनेक लोग चाहते हैं कि अनुभवी लोगों को मौका दिया जाना चाहिये।

अरोड़वंश समाज से जुड़े अनेक लोगों ने अपने स्तर पर ही डॉ. हरीश रहेजा और राजू छाबड़ा का नाम आगे किया। उनका मानना है कि इन दोनों के पास वह सोच है जो समाज को एकजुटता के साथ मजबूत दिशा में ले जा सकती है। डॉ. हरीश रहेजा शहर के जाने-माने डॉक्टर हैं और उनके पास संगठन को मजबूती के साथ चलाने का अनुभव भी है। वे आईएमए में भी इस समय वरिष्ठ पदाधिकारी हैं। वे सभी वर्ग को एकजुट करने में सक्षम हैं और इस तरह से कार्यकारिणी में उनको महत्वपूर्ण पद दिया जाना चाहिये। उल्लेखनीय है कि डॉ. रहेजा ने अंकुर मगलानी के जनसम्पर्क और प्रचार अभियान में मुख्य भूमिका निभायी थी। उन्होंने अपने व्यस्त समय में से भी समाज के लिए वक्त निकाला।

इसी तरह से राजू छाबड़ा अरोड़वंश ट्रस्ट के साथ दशकों से जुड़े हुए चेहरे हैं। उनके पास विभिन्न पदों पर कार्य करने का अनुभव है। वे रमेश मक्कड़ सहित कई अन्य लोगों के साथ कार्य कर चुके हैं और उनको पता है कि समाज की तरक्की की राह कहां और कैसे निकलती है। वे भारतीय जनता पार्टी के भी कार्यकर्ता हैं। भाजपा संगठन में वे वरिष्ठ पद पर नियुक्त हैं और उनको यह भी इल्म है कि टीम को कैसे एकजुट रखा जाता है और किस तरह से उसको मजबूत करने के लिए प्रयास किये जा सकते हैं। इस तरह से समाज के एक वर्ग का मानना है कि इन दोनों को कार्यकारिणी में विशेष स्थान दिया जाना चाहिये। राजू छाबड़ा भारतीय जनता पार्टी के एक जाना-पहचाना चेहरा हैं और इसके साथ-साथ वे अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं से भी जुड़े हैं।

नरेन्द्र मोदी सरकार के आठ वर्ष : गृह मंत्रालय पर छाप नहीं छोड़ पाये शाह

श्रीगंगानगर/नई दिल्ली (टीएसएन)। आधुनिक भारत का सपना जनता को दिखाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के आठ वर्ष पूर्ण होने पर यह सवाल उठ रहा है कि गृह मंत्रालय में अमित शाह क्या अपनी भूमिका को प्रभावी तरीके से निभा पाये हैं। जिस तरह से अपराधियों के संगठन मजबूत हो रहे हैं। कश्मीर में ‘टारगेट किलिंगÓ की घटनाओं में भारी इजाफा हुआ है, उससे जनता में यह सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल दिन बीतने के साथ मजबूत होते जा रहे हैं और इन सवालों का उत्तर केन्द्र सरकार को देना चाहिये।

मोदी सरकार-1 के कार्यकाल के दौरान केन्द्र ने आर्थिक सुधारों के नाम पर बड़े बदलाव किये। मुद्रा का आकार बदल दिया गया। नयी मुद्रा का चलन आरंभ किया गया। ऑनलाइन ट्रांजक्शन के लिए यूपीआई जैसी यूनिक सेवा आरंभ की। होटल-ढाबों को मोबाइल में बदल दिया गया। सस्ती इंटरनेट सेवा प्रदान कर मोबाइल को एक बहुपयोगी गैजेट बनाया गया। पूरे देश में सड़कों का जाल बिछाकर दिखाया गया कि भारत में आज तेज गति और सुरक्षित सड़क मार्ग उपलब्ध है।

इन सबके बीच में यह सवाल खड़ा हो रहा है कि गृह मंत्रालय क्या अपनी भूमिका समाज के प्रति निभा पा रहा है? यह बड़ा सवाल है क्योंकि हालात इस तरह के हो चुके हैं कि लोगों को सुरक्षा की भावना कमजोर होती दिख रही है। इस कमजोर भावना के कारण यह भी हैं कि एक तरफ अपराधी मजबूत हुए हैं तो दूसरी ओर गृह मंत्रालय खाकी वर्दीधारियों को जनता का मित्र के रूप में प्रदर्शित नहीं कर पाया है। पुलिस आज भी डंडामार जांच के तौर-तरीके अपना रही है। उसको आधुनिक बनाये जाने के जो प्रयास होने चाहिये, वह समुचित व्यवस्था के तहत नहीं हो पाये हैं।

पंजाब के अंदर कुछ ही दिनों के भीतर बड़ी वारदात हुई हैं। मानसा सदर थाना इलाके के गांव मूसा के रहने वाले पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला पर इतनी गोलियां बरसायी गयी कि उसके जीवित बचने की संभावना न के बराबर रह गयी। अभी इस घटना से पंजाब उभर ही नहीं पाया था कि पंजाब के ही मोगा जिले में एक युवक को तलवारों से काट दिया गया और लोग उस तड़पते युवक के वीडियो बनाने के अतिरिक्त कुछ अन्य नहीं कर पाये। पंजाब के मुख्य शहर लुधियाना में दो गैंग के बीच जेल के भीतर ही गैंगवॉर की घटना हो गयी और मंत्री को दौरा करना पड़ा।

इसके अतिरिक्त देश के अनेक अन्य स्थानों पर गैंगस्टर सरेआम धमकियां दे रहे हैं और हालात यह है कि आधुनिक टैक्रोलॉजी की शिक्षा से मरहूम पुलिस ऐसे अपराधियों को तलाशने में कामयाब नहीं हो रही। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जिस तरह से मूसेवाला पर अत्याधुनिक हथियारों से हमला हुआ, उससे चिंता ज्यादा बढ़ गयी हैं क्योंकि ऐसे हथियार जो सशस्त्र बलों के पास होते हैं, वह हथियार अपराधियों तक आसानी से पहुंच रहे हैं।

अपराधियों तक पुलिस नहीं पहुंच पा रही किंतु हथियार तस्कर अपने हथियार ऐसे अपराधियों तक पहुंचाने में कामयाब हो रहे हैं। ऐसे गैंगस्टर के खिलाफ एक विशेष एक्ट की आवश्यकता है, जिस पर गृहमंत्रालय अभी तक विचार नहीं कर पाया है।

राज्य सरकारों के अधीन कार्य करने वाली पुलिस राजनीतिक दबाव में होती हैं और जिन गैंगस्टर पर राजनीतिक वर्चस्व होता है, वे आसानी से अपनी अप्रोच और नाम को खूंखार बढ़ाते जाते हैं। पुलिस उनकी आवभगत में लगी रहती है। जिन लोगों को जेलों में बंद होना चाहिये, ऐसे लोग राजनीति में प्रवेश कर सम्मानीय हो जाते हैं और बाहुबली कहलाना अपनी शान समझते हैं।
अमित शाह की राजनीतिक अनुभव की बात की जाये तो उन्होंने भाजपा को विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक दल में स्थापित कर दिया। वर्तमान में वे एक गृहमंत्री के रूप में कार्यरत हैं। देश में प्रत्येक आईपीएस उनके अधीन कार्यरत है। इस तरह से यह आवश्यक हो जाता है कि वे आईपीएस की जवाबदेही को ज्यादा मजबूत करें। स्थानीय स्तर के राजनेताओं के दबाव में अगर केन्द्र सरकार के अधिकारी कार्य करेंगे, तो उस समय यह सवाल उठना जरूरी हो जाता है कि आखिर सुरक्षा के लिए किसके पास गुहार लगायी जाये। शाह ने राम मंदिर निर्माण और जम्मू-कश्मीर को नये प्रांत के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभायी, किंतु इसके अतिरिक्त भी उनकी जिम्मेदारी है कि वह जरायमपेशा लोगों से जान-माल की सुरक्षा के लिए पुलिस बल को आधुनिक बनायें। उनको मजबूत बनायें और राजनीतिक दबाव से दूर उनको एक स्वतंत्र बल के रूप में स्थापित करने के लिए कानून लाएं। पुलिस सुधार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिये हैं, उसकी पालना के तौर पर ही शुरुआत की जा सकती है।

VIAसतीश बेरी
SOURCEसतीश बेरी्
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