श्रीगंगानगर (टीएसएन)। लायलपुर फार्म हाउस की जमीन को लेकर विवाद गहराया हुआ है। चक पांच जैड के लगभग 15 मुरब्बों में फैली इस जमीन के एक बड़े हिस्से को रिद्धि-सिद्धि टाउनशिप के डवल्पर मुकेश शाह, सुरेश शाह अपने कब्जे में ले चुके हैं। अब तीन पुलिया की तरफ वाले मार्ग की तरफ विवाद सामने आ रहा है। यहां पर बावरी समाज की महिलाएं दो बार जिला कलक्टर से मिल चुकी हैं। अपना विरोध दर्ज करवा चुकी हैं।
सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार चक पांच जैड जो चक महाराज का गिरदावर क्षेत्र का हिस्सा है। चक महाराज का सादुलशहर विधानसभा क्षेत्र में है। वहीं तीन पुलिया का क्षेत्र नगर परिषद के वार्ड नं. 65 में आता है। इस तरह से यह दो विधानसभा क्षेत्रों का भाग है। साधुवाली मार्ग पर रिद्धि-सिद्धि 6 और 7 पर कार्य चल रहा है। इस कॉलोनी में सड़कों आदि का कार्य किया जा रहा है। एक मंदिर का निर्माण कार्य भी चलने की जानकारी सामने आयी है।
रिद्धि-सिद्धि 6,7 के बाद एक दीवार का निर्माण किया गया है। इस दीवार के दूसरी तरफ खेत हैं और किन्नू के बाग हैं। इस क्षेत्र में लायलपुर फार्म के हिस्सेदार सतनाम सिंह, मनमोहनसिंह नामक दो भाई भी परिवार सहित रहते हैं। यह क्षेत्र अब उनके कब्जे में हैं। अगर राजस्व विभाग का रिकॉर्ड चैक किया जाये तो इस जमीन के अनेक हिस्सेदार थे और प्रत्येक के हिस्से में 6-7 बीघा जमीन आती थी। इस जमीन का संयुक्त खाता था।.
रिद्धि-सिद्धि के डवलपर्स मुकेश शाह, सुरेश शाह ने अपने व अपनी कंपनियों के नाम पर जमीन की खरीद की थी। इसको लेकर विवाद उस समय सामने आया जब इस रकबे का मुरब्बा नंबर 28 अस्मित सिंह पुत्र मनमोहनसिंह नरूला के नाम पर हो गया। इसके उपरांत बावरी समाज के साथ नरूला परिवार का विवाद सामने आया।
अस्मित सिंह नरूला के नाम पर पूर्व में यह जमीन नहीं थी तो विवाद भी नहीं था। अब यह जमीन रिद्धि-सिद्धि डवल्पर के मुकेश शाह ने अस्मित सिंह को बेच दी है। इस संबंध में जब मुकेश शाह से जानकारी मांगी गयी तो उनका कहना था कि वे अपनी जमीन को बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। इस संबंध में सवाल नहीं होना चाहिये।
सवाल नहीं होता था, लोग पहले भूखण्डों की खरीद-फरोख्त में जुटे हुए थे, सवाल उस समय पैदा हुआ जब बावरी समाज को हटाने के लिए बल प्रयोग किया गया। बावरी समाज की ओर से पूर्व पार्षद रमेश डागला ने प्रतिनिधि के तौर पर बावरी समाज को बलपूर्वक हटाने का वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया। डागला बताते हैं कि जमीन का मुश्तरका खाता है। मुश्तरका खाता में यह तय कैसे हुआ कि मुरब्बा नंबर 28 की जमीन को मुकेश शाह की ओर से बेची जा सकती है या खरीदी जा सकती है। पहले भूमि बंटवारा होना चाहिये था। हिस्सेदारों के नाम पर खेत का मुरब्बा नंबर और किला नंबर का मालिकाना हक आना चाहिये था।
सैकड़ों बीघा भूमि को कृषि से अकृषि क्षेत्र घोषित कर दी जाती है जबकि पहले ही सैकड़ों बीघा क्षेत्र में कॉलोनियों के निर्माण कार्य चल रहे हैं। अब तक रेरा को उपलब्ध करवायी गयी जानकारी में मुकेश शाह-सुरेश शाह की ओर से अपने दो प्रोजेक्ट पूर्ण होने की जानकारी दी है, इसमें एक रिद्धि-सिद्धि प्रथम में बना मॉल भी शामिल है। बावरी समाज की महिलाएं दो बार जिला कलक्टर से मिल चुकी हैं और उनका आरोप है कि पिछले अनेक दशकों से वे बावरी बस्ती में निवास कर रही हैं। उनका मतदाता पहचान पत्र, आधार कार्ड, जन आधार कार्ड सभी इस एड्रैस पर बना हुआ है। अब उनको बेघर करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि प्रशासन के सुस्ते रवैये पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।