न्यूयार्क (टीएसएन)। दुनिया की सबसे बेहतरीन जांच एजेंसी की कैप पहनने वाली एफबीआई (फैडरल/संघीय जांच एजेंसी) की पिछले कुछ समय की कार्यप्रणाली ने जांच एजेंसी को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को जासूसी के आरोप में मुकदमा चलाये जाने की तैयारी की जा रही है। वहीं एक एनकाउंटर पर भी टीम जांच के घेरे में है।
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पाकिस्तान आदि ऐसे कमजोर लोकतांत्रिक देश हैं जहां राजनीतिक रंजिश के तहत पूर्व शासनाध्यक्षों को गिरफ्तार अथवा जेल बंदी बनाये जाने की परंपरा रही है।
SandhyaDeep 14-8-2022
अमेरिका अब तक सबसे मजबूत लोकतंत्र का ध्वज दुनिया भर में लहराता रहा है। संसद और राष्ट्र्रपति को एक समान शक्तियां दी हुई हैं। संसद जहां राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग ला सकती है तो राष्ट्रपति संसद में पारित प्रस्ताव पर वीटो भी कर सकते हैं। उस वीटो का कवच हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
इस तथ्य की ओर बहुत ही ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है कि वर्ष 2018 के मध्यावधि चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी को संसद में बहुमत प्राप्त था। डोनाल्ड ट्रम्प का कार्यकाल वर्ष 2020 में समाप्त होता है। अगर ट्रम्प ने अपने कार्यकाल के आखिरी समय में किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज को दफ्तर से अपने निजी संस्थान तक ले जाने का कार्य किया था तो उस समय संसद में यह आवाज क्यों नहीं गूंजी। क्यों नहीं सीआईए और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया।
एफबीआई की रेड का मामला : बाइडेन प्रशासन फांस सकता है पूर्व राष्ट्रपति ट्रम्प को जासूसी के आरोप में
ट्रम्प का कार्यकाल जनवरी 2021 में समाप्त हो गया। वे व्हाइट हाउस छोड़कर निजी आवास में चले गये। इसके करीबन डेढ़ साल बाइडेन प्रशासन को यह आभास होता है कि ट्रम्प के पास सिके्रट दस्तावेज हो सकते हैं। एफबीआई को वारंट हासिल करने के लिए कहा जाता है। अटार्नी जनरल जो एक डेमोक्रेटिक विचाराधारा वाले व्यक्तित्व हैं वे वारंट जारी करवाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
दूसरी ओर एफबीआई ने एक मुठभेड़ में हमलावर को मार गिराने का दावा किया है। मुठभेड़ एफबीआई कार्यालय से काफी दूरी पर होती है। दावा किया जाता है कि हमलावर ने हथियारबंद होकर हमला किया था, उस समय यह सवाल पैदा हो जाता है कि क्या संघीय जांच एजेंसी के कार्यालय को सुरक्षा प्रदान नहीं की जा रही थी?
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