30 मई को राजकीय अवकाश के लिए भी लिखा पत्र
श्रीगंगानगर/जयपुर। राजस्थान में सम्पूर्ण शराबबंदी को लेकर शहादत देने वाले पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा की पुत्रवधू पूनम अंकुर छाबड़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर अरोड़वंश कल्याण आयोग गठित करने के लिए आग्रह किया है। वहीं उन्होंने अरोड़वंश समाज के प्रवर्तक श्री अरुट महाराज की जयंती पर प्रदेश में राजकीय अवकाश घोषित किये जाने की भी मांग की है।
प्रदेश को नशामुक्त करने के लिए पूर्व विधायक गुरुशरण छाबड़ा ने आंदोलन को आरंभ किया था और इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए उन्होंने अनशन करते हुए शहादत दे दी। अब इस आंदोलन को आगे बढ़ाने का जिम्मा पूनम छाबड़ा ने उठाया है। पूनम कहती हैं कि पूर्व विधायक के सपने को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। वहीं समाज में अनेक ऐसी बड़ी समस्याएं सामने आती हैं, जिनके समाधान और समाज की मजबूती के लिए एक स्थायी आयोग होना चाहिये। उसी तरह से जिस तरह से अल्पसंख्यक आयोग है। महिला आयोग है। इस तरह का आयोग के अध्यक्ष और सदस्य समाज के ही लोग होंगे तो महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
पूनम ने कहा कि एक करोड़ से ज्यादा की आबादी होने के उपरांत आज भी समाज के लोग स्वयं को अलग पाते हैं। निराश होते हैं। उनकी आशओं और समस्याओं का समाधान करने के लिए एक ऐसा आयोग होना आवश्यक है जो इतनी बड़ी जनसंख्या के कल्याण के लिए कार्य कर सके। वहीं उन्होंने कहा, श्री अरुट महाराज की जयंती 30 मई को समाज द्वारा मनायी जाती है। अरोड़वंश समाज के प्रवर्तक श्री अरुट महाराज की जयंती पर राजकीय अवकाश घोषित किया जाना चाहिये ताकि समाज के लोग जयंती को उल्लासपूर्वक परिवार के सदस्यों के साथ मना सकें। उन्होंने मुख्यमंत्री को अवगत करवाया कि अरोड़वंश समाज के लोगों ने प्रदेश, देश के विकास में अतुलनीय योगदान दिया है। आर्थिक, सामाजिक, कला, संस्कृति, राजनीति सहित क्षेत्रों में समाज के लोगों ने अपनी मेहनत, लगन से मजबूती प्रदान की है। इतनी बहुमुखी प्रतिभा वाले समाज की अनदेखी किया जाना समाज के साथ उचित नहीं होगा।
बीडी के बाद व्यापारी की ओर पुन: आकर्षित होंगे श्रीगंगानगर के मतदाता?
श्रीगंगानगर। चुनाव पहले की तरह से मुद्दों और संवेदनाओं पर नहीं लड़ा जाता। अब यह करोड़ों रुपये निवेश करने वाला व्यापार बन गया है। सफलता-असफलता दोनों ही सूरत में राशि ब्याज सहित वापिस मिलने की पूरी गारंटी है। इस कारण अनेक व्यापारी चुनाव मैदान में हैं।
बीडी अग्रवाल ने चुनावों से पहले लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए छात्रों को फीस, वृद्ध लोगों को पैंशन और गरीब का बेटा डॉक्टर बनेगा, जैसे नारे दिये थे। मेडिकल कॉलेज का निर्माण करने के लिए दो सौ रुपये का चैक भी दे दिया था। लोगों को विश्वास दिला दिया कि मेडिकल कॉलेज बनकर रहेगा। अग्रवाल एक सफल व्यापारी थे, जो हिसार के एक आम घर से आकर श्रीगंगानगर का सबसे अमीर आदमी बनने का ताज पहनने में सफल हो गये थे। वह भी अल्प समय में। उन्होंने इस तरह का खेल खेला कि कुछ गौरे लोगों को अमेरिकी व्यापारी बताकर अपनी मिल में आमंत्रित किया और बैंकों से सैकड़ों करोड़ रुपये के लोन उठा लिये। सदर पुलिस थाना में अपने जीवनकाल के दौरान उन्होंने दर्जना मुकदमे ट्रक चालकों के खिलाफ दर्ज करवाये कि उसकी फैक्ट्री से ग्वारगम ले जाया गया और बाद में ईंट भरकर उसको बंदरगाह तक पहुंचाया गया। इस तरह से बीमा की राशि भी प्राप्त कर ली। यह खेल उनका लम्बे समय तक चला।
व्यापार में सफल हुए तो राजनीति को भी व्यापार की तरह लिया। लोगों को दिखाया कि वह अरबपति आदमी है और लोगों को करोड़ों रुपये दान करने से उसके जीवन, व्यापार पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है। समाजसेवक बनकर रायसिंहनगर व श्रीगंगानगर की सीट को जीत लिया। दो विधायक विधानसभा में जमींदारा पार्टी के पहुंच गये।
उनके निधनोपरांत अब अनेक व्यापारी बांस की खेती और न जाने क्या-क्या लॉलीपॉप देने के लिए पर्चे बांटते हुए नजर आ रहे हैं। अब सवाल यह है कि आम आदमी जिसके पास करोड़ों रुपये नहीं है, वह चुनाव मैदान में कैसे उतरेगा? जिसके पास मजदूर रूपी सैकड़ों कार्यकर्ता नहीं होंगे वह अपना शक्तिप्रदर्शन कैसे करेगा और स्वयं को मैदान में है, यह कैसे प्रमाणित करेगा? जिन लोगों के पास धन है, बल है वे सब व्यापारी हैं। यह सब व्यापारी लोगों को यकीन दिलाना चाहते हैं कि उनके जैसा कोई नहीं है। जो करोड़ों रुपये टिकट और करोड़ों रुपये प्रचार आदि पर खर्च करेगा और इन करोड़ों रुपये का हिसाब मात्र कुछ हजार रुपये दिखायेगा, ऐसा कलाकार एक आम आदमी तो हो नहीं सकता जो लोगों को उनके दर्द में साथ रहने का वादा करके वोट हासिल कर सके। इस तरह से इस राजनीति के व्यापार में धनबल के अलावा कोई अन्य दावेदार भी नहीं हो सकेगा।
गौतम बुद्धनगर : लॉटरी में फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद प्रशासन-न्यास दुबारा निकालेगा लॉटरी
अभी तक डॉ. राकेश बंसल के परिवार का भ्रष्टाचार सामने आया
बहुत से नाम तो आने अभी बाकी हैं
श्रीगंगानगर। शहर का हृदयस्थल बनते जा रहे गौतम बुद्धनगर की लॉटरी प्रक्रिया में किस प्रकार का फर्जीवाड़ा हुआ, इसका प्रमाण सांध्यदीप ने नगर विकास न्यास के ही दस्तावेजों को आधार बनाकर दुनिया के सामने पेश कर दिया। अब न्यास क्या फर्जी लॉटरी को निरस्त कर पुन: प्रक्रिया को करेगा। वहीं अनेक लोग भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के कार्यालयों में भी चक्कर काटते हुए नजर आ रहे हैं। वहीं कुछ लोग पांच हजार करोड़ की जमीन की बंदरबांट होने की जानकारी सीबीआई तक भी पहुंचा रहे हैं।
नगर विकास न्यास ने गत 18 मई को गौतम बुद्धनगर में भूखण्ड आवंटन के लिए लॉटरी की प्रक्रिया को पूर्ण किया। यह लॉटरी प्रक्रिया इस कारण भी सवालों के घेरों में थी क्योंकि इससे पूर्व की जाने वाली सभी औपचारिकताओं को नजरांदाज कर दिया गया था। नगर विकास न्यास ने आवेदन ऑफलाइन प्राप्त किये और इसके लिए एक सरकारी बैंक के साथ अनुबंध किया। इस बैंक के साथ एमओयू करने के उपरांत 15 हजार आवेदन प्राप्त होने की जानकारी मौखिक रूप से नगर विकास न्यास देता रहा। इस संबंध में सभी दस्तावेजों को कभी मीडिया के सामने नहीं रखा और न ही इसको सार्वजनिक रूप से जनता के सामने लाया गया। आवेदनकर्ताओं की लिस्ट को भी न्यास कार्यालय में चस्पा नहीं किया गया, जो सबसे अनिवार्य था।
आवेदन प्राप्त करने के उपरांत फार्मों की जांच की जानी चाहिये थी और इन नामों को सार्वजनिक करते हुए उनके संबंध में आपत्ति और दावे आमंत्रित किये जाने चाहिये थे। यह योजना आवासहीन लोगों के लिए बनायी गयी थी ताकि राज्य सरकार ऐसे लोगों को छत दे सके जो अपने जीवन में सरकारी नीतियों के कारण निम्र आय वर्ग अथवा मीडिल क्लास की श्रेणी से बाहर ही नहीं निकल सके।
इन आवासहीन लोगों के लिए 180 बीघा भूमि अधिग्रहण की गयी थी और मात्र 110 बीघा पर कॉलोनी बसायी गयी और इसमें भी 578 भूखण्ड ही दिये जाने की जानकारी सार्वजनिक रूप से नगर विकास न्यास ने दी। अब आवेदनकर्ताओं के नाम और उनके नगर, उप नगर को सार्वजनिक किया गया। लॉटरी की तारीख भी एक दिन पहले ही निर्धारित की गयी और इसके लिए भी न्यास ने अधिकारिक रूप से कोई सूचना प्रकाशित नहीं करवायी। आधे अधूरे लोगों को जानकारी मिली और जब वे पहुंचे तो पता चला कि लॉटरी तो निकल गयी है। लॉटरी स्थल पर पुलिस भी डंडों के साथ मौजूद थी इस कारण कोई नहीं बोल सका।
वहीं सांध्यदीप ने लॉटरी की प्रक्रिया आरंभ होते ही इस पर सवाल उठा दिये थे। वहीं लॉटरी के उपरांत भी तथ्यों के साथ उजागर किया कि किस तरह से शहर का सबसे बड़ा प्राइवेट अस्पताल चलाने वालों में शामिल डॉ. राकेश बंसल का पुत्र और उसकी पुत्रवधू भूखण्ड प्राप्त करने में कामयाब हो गये भले ही नाम लॉटरी का दिया गया हो। अब डॉ. बंसल का पुत्र प्रखर जो स्वयं चर्म रोग विशेषज्ञ है और एक दवा कंपनी का संचालन भी करता है, वह आवासहीन है। अब पति डॉ. प्रखर को भूखण्ड प्राप्त हो गया तो उनकी पत्नी कृति बंसल कैसे आवासहीन हो गयी? नगर विकास न्यास ने अपनी कारगुजारियों से पति-पत्नी को एक ही सैक्टर में बिलकुल आसपास भूखण्ड ‘लॉटरीÓ के माध्यम से आवंटित किये हैं ताकि ‘महिला शक्तिÓ को पति से मिलने के लिए उसके घर तक जाने के लिए लम्बा रास्ता तय नहीं करना पड़े। एक ही ब्लॉक। इसके अलावा भी बहुत सी अन्य अन्य अनियमितताएं हैं, जो धीरे-धीरे सामने आयेंगी।
हालांकि जनता के सामने सच आ चुका है किंतु अभी तक न्यास ने अधिकारिक रूप से इस फर्जीवाड़े के लिए अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं जिन लोगों के भूखण्ड नहीं निकल पाये हैं, वह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के अधिकारियों से मिल रहे हैं। ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जो लिस्ट सफल आवेदकों की जारी की गयी है, उसमें उनके नगर, उप नगर, गली नंबर आदि कुछ भी नहीं दिया गया है। यह त्रुटिपूर्ण पक्रिया अपनाकर भी नगर विकास न्यास स्वयं को दूध का धुला साबित करना चाहता है तो यह अलग विषय है।
महिला शक्ति को मिली विजय : शीला कुमारी
मुख्यमंत्री के साथ वार्ता उपरांत 24 दिनों से चला आंदोलन समाप्त
श्रीगंगानगर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और राज्य सरकार के विभिन्न अधिकारियों के साथ लम्बी मंत्रणा के उपरांत गुरुवार को एएनएम-एलचवी संघ ऑफ राजस्थान के महिला कार्मिकों ने 24 दिनों से चल रहा धरना समाप्त कर दिया। इस संबंध में जानकारी देते हुए जिलाध्यक्ष शीला कुमारी ने बताया कि पे ग्रेड और पदनाम परिवर्तन सहित अनेक मांगें थीं, जिनको लेकर आंदोलन किया जा रहा था। इन मांगों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी सीएम निवास पर बुधवार रात 8 बजे संघ के सदस्यों की वार्ता हुई और सीएम ने मांगों को पूर्ण करने का विश्वास दिलाया किंतु इसके लिए सरकार को वक्त देने के लिए भी कहा गया। जिलाध्यक्ष के अनुसार सरकार और अधिकारियों के साथ वार्ता के बाद मांगों पर सहमति बन गयी थी, इस कारण गुरुवार को प्रशासन को इस संबंध में लिखित में पत्र भी दिया गया और आंदोलन समाप्त करने का एलान कर दिया गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले 24 दिनों से महिला स्वास्थ्य कार्मिकों ने जिला कलक्टरी के बाहर धरना आरंभ किया हुआ था। धरने के दौरान भी कोई हलचल नहीं हुई तो जिलाध्यक्ष शीला कुमारी के नेतृत्व में कार्मिकों ने सीएमएचओ कार्यालय के समक्ष ढोल भी बजाये ताकि सरकार तक उनकी आवाज पहुंच सके। वहीं क्रमिक अनशन भी किया गया। इस अनशन के दौरान जिलाध्यक्ष शीला कुमारी ने प्रदेश अध्यक्ष कमला मीणा ने कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष आयुदान कविया आदि के साथ मिलकर जयपुर में सरकार के शीर्ष स्तर पर वार्ता की।
जिलाध्यक्ष ने कहा है कि यह जीत महिला शक्ति की जीत है। महिला शक्ति ने भीषण गर्मी की परवाह नहीं करते हुए 45 डिग्री पारा के बीच में भी टैंट के नीचे भूखे पेट रहकर अनशन किया। आंदोलन किया। सरकार ने बरसों पुरानी मांगों को पूर्ण करने की सहमति दी है और कुछ मांगों पर कार्यवाही भी आरंभ कर दी गयी है।
कस्टम विभाग के लिए अलर्ट : दुबई से सोने की तस्करी में हो सकती है बढ़ोतरी
जयपुर/श्रीगंगानगर। राजस्थान के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट जयपुर से सोना तस्करी के समाचार निरंतर प्राप्त होते रहते हैं और केन्द्र सरकार का कस्टम विभाग उन तस्करों के निवास तक की तलाशी का कार्य करता है। हालांकि इस पूरे मामले का निस्तारण जुर्माना से होता है। जेल सजा का प्रावधान नहीं होने के कारण युवा वर्ग इस अपराध की ओर आकर्षित हो रहा है जबकि आने वाले दिनों में सोना तस्करी में और बढ़ोतरी होने की संभावना है।
ताजा समाचारों को देखा जाये तो यूक्रेन-रूस युद्ध के उपरांत अरब के प्रमुख देश संयुक्त अरब अमीरात ने रूस से सोने के आयात में भारी बढ़ोतरी कर दी है। अंतरराष्ट्रीय संवाद सेवा ने रूसी सरकार के सरकारी दस्तावेजों की जांच के बाद इस आशय का समाचार जारी किया है। जारी किये गये समाचारों में बताया गया है कि खाड़ी राज्य ने वर्ष 2021 में रूस से मात्र 1.3 टन सोने का आयात किया था। यूक्रेन युद्ध के उपरांत हालात में परिवर्तन आया है। यूरोपीय देशों के प्रतिबंधों के उपरांत रूस से यूएई ने 75.7 टन रूसी सोना आयात किया है। चीन और तुर्की भी रूस से सोना आयात के मामले में अन्य बड़े खिलाड़ी रहे। इन लोगों फरवरी 2022 से मार्च 2023 के बीच 20 टन सोना आयात किया।
यूएई में जिस तरह का सोने का आयात बढ़ा है तो सोचने वाला विषय यह भी है कि दुबई के स्थानीय नागरिकों का सोने के प्रति उतना क्रेज नहीं है, जितना भारतीयों का रहता है विशेषकर महिलाओं का। इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि यूएई से भारी मात्रा में भारत में सोना तस्करी होता है क्योंकि दोनों देशों के बीच मूल्य में करीबन 15 लाख रुपये प्रति किलो सोने के भावों का अंतर है।
अधिकारी का कहना है कि नागौर जिले में एक ऐसा गांव है, जहां के युवाओं को इसके लिए तैयार किया जाता है। इस गांव में युवक से लेकर उसके पिता और ग्रांड फादर तक सभी के नाम एक जैसे होने के मामले सामने आता है। अगर किसी व्यक्ति का नाम इकबाल है तो ऐसे गांव में 10 से भी ज्यादा युवक मिलेंगे जिनका नाम इकबाल होगा और इन सभी के पिता और दादा का नाम भी एक जैसा होगा। इस तरह से उस आरोपित को तलाशना काफी मुश्किल हो जाता है क्योंकि अदालत के सम्मन तामिल करवाने में काफी मुश्किल आती है। हालांकि इस तरह के मामलों में सजा का प्रावधान नहीं है। जुर्माना लगाया जाता है लेकिन इसके विपरीत भी इस गांव के ऐसे युवाओं को तलाशा जाता है जिनके नाम जैसे अनेक लोग रहते हों और उनके पिता, दादा का नाम भी समान हो। उनसे सोने की तस्करी करवायी जाती है। अब रूस से सोने का आयात बढ़ रहा है तो दुबई से तस्करी के मामले भी बढऩे की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।