लुधियाना में सात लोगों की मौत का मामला : मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, पुलिस कमीश्रर से 8 सप्ताह में मांगी रिपोर्ट
ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस डम्प प्वांइट को लेकर एक फैसला भी सुनाया था और इस फैसले की पालना के लिए हाइकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक सामाजिक कार्यकर्ता सहित अन्य लोग शामिल थे।
श्रीगंगानगर। लुधियाना में 19 अप्रेल को सात लोगों की मौत की सनसनीखेज घटना के लगभग चार माह बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नींद खुली है और लुधियाना के पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह के भीतर जांच कर तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है।
मानवाधिकार आयोग को 5 मई 2022 को ह्यूमन राइटस वर्कर ने मानवाधिकार आयोग को एक शिकायत का प्रेषण किया था। शिकायत में बताया गया था कि पंजाब के मुख्य शहर ताजपुर रोड पर स्थित मक्कड़ कॉलोनी (टिब्बा क्षेत्र, जेल के नजदीक) लुधियाना नगर निगम ने कचरा संग्रहण केन्द्र बनाया हुआ है। इस कचरा संग्रहण केन्द्र में चारों तरफ कचरे के पहाड़ बने हुए हैं। इन डम्प प्वाइंट के आसपास प्रवासी मजदूर जो मूल रूप से बिहार के गरीब, दलित और शोषित हैं, वे अपनी झोपडिय़ां बनाकर रह रहे हैं।
उनके पास आजीविका संचालन के लिए आवश्यक संसाधन नहीं है। यह लोग डम्प प्वाइंट पर कचरा में बिक्री योग्य सामान की तलाश करते हैं और उस सामान को बेचकर किसी तरह से जिंदगी का गुजारा कर रहे थे। इसी तरह का एक परिवार सुरेश का था। परिवार के आठ सदस्य थे। 19 अप्रेल 2022 को परिवार के सात सदस्य एक ही झोपड़ी में सो रहे थे और आग लग गयी। आग से सुरेश, उसकी पत्नी रोना, परिवार के अन्य सदस्य में 15 साल की राखी, 10 साल की मनीषा, पांच साल की चांदनी, 6 साल की गीता और 2 साल के सनी की मौत हो गयी थी।
ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस डम्प प्वांइट को लेकर एक फैसला भी सुनाया था और इस फैसले की पालना के लिए हाइकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश, एक सामाजिक कार्यकर्ता सहित अन्य लोग शामिल थे।
जिला उपायुक्त (डीसी) भी कमेटी के सदस्य के रूप में शामिल थे। सात लोगों की मौत के उपरांत पूरे देश में हड़कम्प मच गया था और एनजीटी को भी आभास हुआ कि जो समय-समय पर आदेश हुए, उसकी पालना के लिए आवश्यक कार्य योजना नहीं बनायी जा सकी है, जबकि स्मार्ट सिटी के रूप में केन्द्र सरकार से जिला का 12 सौ करोड़ रुपये प्राप्त हो चुके थे। इसमें बूढ़ा नाला की सफाई और ठोस कचरा प्रबंधन का कार्य भी किया जाना था। यह कार्य किस तरह से हो रहा है यह 19 अप्रेल 2022 को सात लोगों की मौत के रूप में सामने आ गया।
मानवाधिकार कार्यकर्ता सतीश बेरी ने 2 मई 2022 को स्वयं घटनास्थल का निरीक्षण किया। पुलिस और अन्य अधिकारियों से संबंधित घटना के बारे में जानकारी ली। 5 मई 2022 को मानवाधिकार आयोग को इन तथ्यों से अवगत करवाया।
आयोग ने अब इस पर पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी किया है। 8 सप्ताह के भीतर जिम्मेदारी तय करते हुए जांच रिपोर्ट के लिए आदेशित किया है। शिकायत की मूल कॉपी भी संलग्र कर दी गयी है।