दूषित जल प्रकरण में केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने लिया संज्ञान

नहर में आने वाले अज्ञात शवों पर भी अब फाइनल रिपोर्ट आने की संभावना

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श्रीगंगानगर/नई दिल्ली/हनुमानगढ़/फिरोजपुर (टीएसएन)। पंजाब से आने वाले जहरीले पानी की रोकथाम के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसलों के उपरांत भी व्यवस्था में सुधार नहीं होने से निराश राजस्थान-पंजाब के करीबन एक करोड़ लोगों के लिए यह बड़ी खबर हो सकती है कि केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने राजस्थान और पंजाब के खिलाफ संज्ञान लिया है।

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नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अनेक याचिकाएं दाखिल हुईं और उनमें पंजाब की सतलुज नदी से आ रहे विषैला पानी मालवा क्षेत्र यथा फिरोजपुर, फाजिल्का, भटिण्डा, मुक्तसर, राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, जैसलमेर आदि जिलों में कैंसर के महामारी का रूप धारण करने की जानकारी दी गयी थी। सतलुज में पंजाब के अनेक शहरों की फैक्ट्रियों का रसायनयुक्त गंदा पानी भी मिलाया जा रहा था।एनजीटी में दाखिल हुई याचिकाओं में बार-बार प्रिंसीपल ब्रांच ने दूषित पेयजल की रोकथाम के लिए आदेश जारी किये। पंजाब में अनेक बार टीमों को भी रवाना किया गया। इसके उपरांत भी हालात में सुधार नहीं हुआ।

हालत यह थी कि दो दिन पूर्व एक न्यायिक आयोग लुधियाना शहर में था और जब वह शहर का भ्रमण करने के लिए निकला तो समराला चौक के निकट मक्कड़ कॉलोनी के पास एक जगह पर गंदगी का ढेर लगा हुआ था। आयोग देखकर हैरान रह गया कि पिछले तीन सालों से बार-बार आदेशित करने के उपरांत भी पंजाब के अधिकारियों ने कचरा निस्तारण, विषैला पानी की रोकथाम के लिए उत्साहजनक परिणाम नहीं दिया।

राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के मानवाधिकार कार्यकर्ता सतीश बेरी ने इस प्रकरण को लेकर 12 सितंबर 2018 को चण्डीगढ़ में पंजाब सचिवालय के समक्ष अनशन भी किया और उस समय भी उनको आश्वासन दिया गया कि समस्या का समाधान शीघ्र होगा। अनेक बार पत्र व्यवहार करने के उपरांत भी पंजाब और राजस्थान सरकार स्तर पर कोई कार्यवाही नहीं हुई।

केन्द्रीय जल शक्तिमंत्री गजेन्द्रसिंह शेखावत ने इस मामले को पंजाब-राजस्थान का आपसी मामला बताकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हटने का प्रयास किया। चारों तरफ निराशा के बीच मानवाधिकार कार्यकर्ता बेरी ने 12 अप्रेल 2022 को केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त सुरेश एन पटेल को एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की। ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट सतीश बेरी ने बताया कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में उन्होंने निरंतर 14 घंटे कार्य किया। रात का अंधेरा कब उजाले में व्यतीत हो गया, इसका पता ही नहीं लगा।

अब आयोग ने इस रिपोर्ट का परीक्षण करने के पश्चात संज्ञान लिया है। आयोग के समक्ष यह रिपोर्ट अब सरकारी रिकॉर्ड बन गयी है। यह मामला पंजाब-राजस्थान दो राज्यों के बीच भी आता है, इस कारण केन्द्रीय गृह मंत्रालय भी इस मामले में पक्षकार बन गया है। रिपोर्ट में बताया गया था कि दोनों राज्यों के मुख्य सचिव की यह जिम्मेदारी बनती थी कि वह अपने-अपने राज्य में लोगों को निरोगी जीवन के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध करवायें किंतु अधिकारी इस कार्य में विफल हो गये। केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने एक बड़ा फैसला लिया है, जिससे जयपुर और दिल्ली तक एक वर्चुअल भूकम्प का अहसास भी कुछ लोगों को हुआ।

अज्ञात शवों के मामले में भी होगी कार्यवाही

पंजाब से आने वाले जल में विषैला पानी ही नहीं होता बल्कि उसमें रोजाना हत्या जैसा अपराध भी छिपाया जाता है। इंदिरा गांधी, गंगनहर तथा भाखड़ा सिंचाई परियोजनाओं में लगभग रोजाना पानी के साथ शव भी आते हैं। यह शव राजस्थान के ही अनेक थाना क्षेत्रों को क्रॉस करते जाते हैं और अंत में टेल पर पहुंचने पर उनकी हालत कंकाल जैसी हो चुकी होती है। उनकी पहचान नहीं होती। विसरा को जांच के लिए लिया जाता है किंतु उसकी रिपोर्ट कब प्राप्त होगी, यह नहीं कहा जा सकता। राजियासर में एक महिला का विसरा 2019 में लिया गया था और अढ़ाई वर्ष बाद उसकी रिपोर्ट प्राप्त होने का दावा पुलिस की ओर से किया जाता है। यह एकमात्र उदाहरण है और ऐसी हकीकत न जाने कितनी बार छिपायी गयी होगी।

VIASandhyadeep Team
SOURCEसतीश बेरी्
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