श्रीगंगानगर (टीएसएन)। नगर विकास न्यास और राजस्व विभाग ने मिलकर एक नया इतिहास रच दिया। अकृषि भूमि को कृषि भूमि बताकर उसका भू राजस्व अधिनियम 90ए के तहत रुपांतरण कर दिया। यह भूमि किसी छोटे संस्थान की नहीं अपितु जिले के सबसे बड़े विद्यालय ‘नोजगे पब्लिक स्कूलÓ का है।
इस साल बैसाखी के दिन 13 अप्रेल 2022 को ‘द सांध्यदीपÓ की वेबसाइट पर एक समाचार का प्रकाशन किया गया था। समाचार का टाइटल ‘नोजगे पब्लिक स्कूल : कृषि भूमि को सीबीएसई ने दे दी मान्यताÓ था। इस समाचार में बताया गया था कि चक 7 ई छोटी के मुरब्बा नंबर 17 के किला नंबर 1/1, 1/2, 1/3, 10/1, 10/2,10/3, 11/1, 11/2,11/3, 20/1, 20/2, 20/3, 21/1, 21/2, 21/3, मुरब्बा नंबर 26 के किला नंबर 1/1, 1/2, 1/3, 2, 3, 4, 5 में सिंचाई भूमि है। इस भूमि का खाताधारक नोजगे पब्लिक स्कूल मार्फत चेयरमैन पपिन्द्रसिंह पुत्र हाकम सिंह साकिन 7 ई छोटी है। इसका खाता नंबर 80 है।
इस समाचार की एक हॉर्ड कॉपी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को भी भेजी गयी थी। इस समाचार के आधार पर सीबीएसई ने नोजगे पब्लिक स्कूल को नोटिस जारी कर दिया। सरकारी का अर्थ ही सरक+आरी होता है। यह चलती नहीं बल्कि सरकती है। इस फाइल को सरकते-सरकते करीबन 8 माह लग गये।
सीबीएसई ने अब सांध्यदीप को अवगत करवाया है कि नोजगे पब्लिक स्कूल से रिपोर्ट प्राप्त कर ली गयी है। उस रिपोर्ट की एक प्रति भी समाचार पत्र को उपलब्ध करवायी गयी है। उसकी फोटो भी इस समाचार के साथ संलग्र की जा रही है। रिपोर्ट को देखकर नगर विकास न्यास और राजस्व विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक और खुलासा हो गया। यह रिपोर्ट ऐसी है जिसको देखकर हैरानी होती है।
नगर विकास न्यास और राजस्व विभाग को जब केन्द्रीय एजेंसी (सीबीएसई) ने यह जानकारी उपलब्ध करवा दी कि राजस्व विभाग में जिस भूमि को कृषि भूमि माना जा रहा है, वहां पर दो दशक से भी अधिक समय से एक आलीशान भवन बना हुआ है और उस भवन को नोजगे पब्लिक स्कूल के नामा व पुकारा जाता है।
इस तथ्य का इल्म होने के उपरांत भी राजस्व और नगर विकास न्यास ने नियमों को अनदेखा कर दिया। स्कूल संचालक पी सूदन की पुत्री निम्फिया सूदन रेड्डी पत्नी विनय रेड्डी के प्रार्थना पत्र पर 1 सितंबर 2022 को नगर विकास न्यास ने राजस्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर जमीन का भूरुपांतरण कर दिया।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की टीमें समय-समय पर विद्यालय का भौतिक सत्यापन करती रही हैं। इस भौतिक सत्यापन के दौरान उन्होंने चक 7 ई छोटी के मुरब्बा नंबर 17 के किला नंबर 1/1, 1/2, 1/3, 10/1, 10/2,10/3, 11/1, 11/2,11/3, 20/1, 20/2, 20/3, 21/1, 21/2, 21/3, मुरब्बा नंबर 26 के किला नंबर 1/1, 1/2, 1/3, 2, 3, 4, 5 को नोजगे पब्लिक स्कूल माना और इसकी रिपोर्ट भी मुख्यालय पर पहुंचाई।
अब सीबीएसई जिस भूमि को शिक्षा का मंदिर अर्थात विद्यालय मान रहा था राज्य सरकार के उपक्रम नगर विकास न्यास और राजस्व विभाग ने उस भूमि को कृषि भूमि स्वीकार किया। केन्द्र सरकार जिस स्थान को विद्यालय मानता था, राजस्थान सरकार का राजस्व विभाग ने उस भूमि को कृषि भूमि होने की मुहर लगा दी। नगर विकास न्यास ने उस मुहर लगी रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए 90ए की कार्यवाही को पूर्ण कर दिया।
राजस्व विभाग का यह कर्तव्य बन जाता था कि कृषि भूमि पर अकृषि कार्य होने की जानकारी जब ऑन रिकॉर्ड प्राप्त हो गयी, उस समय वह काश्तकारी अधिनियम की धारा 177 के तहत कार्यवाही करने के लिए बाध्य हो गया था, किंतु इसके उपरांत अनेक बीघा पर बने भवन राजस्व व नगर विकास न्यास को दिखाई नहीं दिये। अब उस भूमि पर 90ए की कार्यवाही कर दी गयी है।
अगर इस पूर्ण कार्यवाही को ही देखा जाये तो नगर विकास न्यास को तो लाखों रुपये की आय हो गयी। प्रति स्कवायर मीटर पर करीबन 100 रुपये 90ए की कार्यवाही का शुल्क बनता है। सरकार के एक नोटिस और सांध्यदीप की एक रिपोर्ट के आधार पर न्यास को लाखों रुपये की आय प्राप्त हो गयी।