श्रीगंगानगर (टीएसएन)। डॉ. अनिकेत लीला। श्रीगंगानगर के युवा न्यूरोसर्जन। उभरते हुए चिकित्सक। अहमदाबाद से एमबीएस और हैदराबाद से न्यूरोसर्जरी की मेडिकल शिक्षा प्राप्त की। पिता का नई धानमंडी में बिजनेस के प्रति मोह प्रदर्शित नहीं किया। आढ़त के व्यवसाय से दूर चिकित्सा के क्षेत्र को अपनाया। लगभग 6 साल एमबीबीएस, 3 साल एमएस और उसके उपरांत न्यूरोसर्जरी में प्रशिक्षित हुए। लम्बा समय पढ़ाई को दिया ताकि एक दिन वे समाज और परिवार में प्रतिष्ठा हासिल कर सकें।
देश के कुछ टॉप हॉस्पीटल में कार्य करने के उपरांत उन्होंने अपनी कर्मभूमि श्रीगंगानगर को ही बनाया। इंदिरा वाटिका के नजदीक बंसल नर्सिंग होम (गंगाराम बालमुकंद सुपर स्पैशलिटी हॉस्पीटल प्राइवेट लिमिटेड)में प्रैक्टिस आरंभ की। प्रैक्टिस के बदले में हॉस्पीटल से जो मेहनताना मिलना चाहिये था, वह नहीं मिला।
एक दशक से भी अधिक समय तक मेडिकल शिक्षा प्राप्त करने वाले अनिकेत लीला को सड़क पर एक आम मजदूर की तरह वेतन हासिल करने के लिए धरना देना पड़ा। राजनीतिक, पुलिस अधिकारियों और अस्पताल प्रशासन से जुड़े लोगों के आश्वासन के उपरांत धरना समाप्त हुआ, लेकिन डॉ. अनिकेत लीला को अपनी मजदूरी का अभी भी इंतजार है।
‘द सांध्यदीप न्यूजÓ के साथ वार्ता करते हुए डॉ. लीला बताते हैं कि न्यूरो सर्जन का कार्य उन्होंने बंसल नर्सिंग होम (गंगाराम बालमुकंद सुपर स्पैशलिटी हॉस्पीटल प्राइवेट लिमिटेड) में किया। अन्तिम माह में उनको वेतन नहीं मिल रहे थे।
श्रीगंगानगर शहर की सूरत बदलने के लिए मुकेश शाह ने कर दिया बड़ा दान
इस पर उन्होंने अनेक बार हॉस्पीटल के डायरेक्टर (संचालक) डॉ. राकेश बंसल से भी बात की, किंतु उनको वेतन प्राप्त नहीं हुआ। इस पर उन्होंने अस्पताल को छोड़ दिया। वेतन प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी रखे किंतु सफलता नहीं मिली तो उन्होंने अस्पताल के समक्ष धरना आरंभ किया।
धरना लगाने के कुछ समय उपरांत ही जवाहरनगर थाना पुलिस और कुछ पॉलिटिक्ल पर्सन उनके पास वार्ता के लिए पहुंच गये।
उन्होंने अपने वेतन से संबंधित जानकारी दी। पुलिस और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं ने उनको आश्वासन दिया कि वे डॉ. बंसल से उनकी पंचायत करवा देंगे। एक साल से ज्यादा का समय गुजर गया किंतु अभी तक वह पंचायत (बैठक) नहीं हो पायी। जो पॉलिटिक्ल पर्सन थे, वे भी आज-कल करते-करते आखिर में फोन उठाना ही बंद कर गये।
एक सवाल के जवाब में डॉ. अनिकेत लीला ने बताया कि उनका करीबन 10 लाख रुपये की राशि बकाया है। अभी तक अन्तिम हिसाब तो किया ही नहीं गया। कुछ राशि ऊपर-नीचे हो सकती है किंतु यह लगभग 10 लाख रुपये ही है। इतनी बड़ी राशि को वे भूल तो नहीं सकते। श्री लीला ने बताया कि उन्होंने यह मामला आईएमए के समक्ष भी उठाया था।
वहीं आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सुभाष राजोतिया ने कहा कि आईएमए दो पक्षों के बीच सिर्फ मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है। आईएमए के संविधान के अनुसार संगठन चिकित्सकों के बीच आपसी लेन-देन के विवाद में कोई बड़ा कदम नहीं उठा सकता है। उन्होंने डॉ. राकेश बंसल से भी इस संबंध में वार्ता की थी। संभव है कि यह मामला जल्दी ही सुलट जाये।
कौन है डॉ. राकेश बंसल?
श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर डॉ. राकेश बंसल को बंसल नर्सिंग होम (गंगाराम बालमुकंद सुपर स्पैशलिटी हॉस्पीटल प्राइवेट लिमिटेड) के संचालक (डायरेक्टर) के रूप में भी जाना जाता है। चर्म रोग के विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने शिक्षा प्राप्त की है। एडवांस लेजर मशीनों के नाम पर उन्होंने अपना प्रचार-प्रसार किया और श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ में एक स्वयं की मार्केट को स्थापित किया। पूर्व में बंसल नर्सिंग होम के नाम से संचालित होने वाले हॉस्पीटल का विस्तार करते हुए आसपास के भवनों की खरीद भी आरंभ की और इस तरह से जिला मुख्यालय के हृदय स्थल कहे जाने वाले इंदिरा वाटिका के नजदीक उन्होंने गंगाराम बालमुकंद सुपर स्पैशलिटी हॉस्पीटल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से एक कंपनी का सृजन किया। अब यह कंपनी इस हॉस्पीटल का संचालन करती है। इस तरह का दावा किया जाता है। इस कंपनी में अन्य डायरेक्टर के रूप में डॉ. अजय मिश्रा हैं। कंपनी का पक्ष जानने के लिए डॉ. अजय मिश्रा के ईमेल आईडी (कार्पोरेट मंत्रालय में रजिस्टर्ड) पर एक सप्ताह पहले संदेश भेजा गया था। डॉ. मिश्रा की तरफ से कोई उत्तर इस संबंध में नहीं दिया गया हे।
Related