श्रीगंगानगर (टीएसएन)। पुरानी आबादी में जेसीटी कपड़ा मिल वाली भूमि पर आवासीय योजना को सरकार की मंजूरी मिल गयी है। यह आवासीय योजना भी रिद्धि-सिद्धि डवल्पर मुकेश शाह-सुरेश शाह लेकर आ रहे हैं। यह आवासीय योजना नंबर 9 होगी या 8 इसको लेकर अभी जानकारी सामने नहीं आयी है।
करणपुर मार्ग पर जेसीटी मिल को कई साल पहले बंद कर दिया गया था। मजदूरों और मिल प्रबंधन के बीच अनेक मुद्दों पर असहमति हो गयी थी। इसके बाद मशीनरी को वहां से हटा लिया गया था और भूमि को सेल कर दिया गया था। पहले अनेक लोगों के नाम सामने आये थे। इसमें पंजाबी अकादमी के एक पूर्व अध्यक्ष का भी नाम सामने आया था। उन्होंने भी कुछ हिस्सा जमीन का खरीद किया था।
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से प्राप्त जानकारी के अनुसार जेसीटी मिल की भूमि पर आवासीय योजना के लिए मुकेश शाह-सुरेश शाह ने भूमि मालिकों के साथ सौदा कर लिया था। इसके उपरांत इस जमीन को रुपांतरण के लिए स्थानीय स्तर पर कार्यवाही होनी थी और नगर परिषद ने आपत्ति सूचना भी जारी की थी। इससे पहले कि आपत्तियों पर विचार हो पाता, फाइल को जयपुर ट्रांसफर कर दिया गया था। अब सरकार ने जेसीटी मिल वाली भूमि पर आवासीय योजना को मंजूरी प्रदान कर दी है।
वहीं इससे पहले मुकेश शाह-सुरेश शाह उर्फ सोहम शाह की सल्तनत पर नजर डाली जाये तो सामने आता है कि कुछ माह पूर्व तक रिद्धि-सिद्धि प्रथम व द्वितीय ही थी। पिछले डेढ़ साल के दौरान रिद्धि-सिद्धि 3, 4, 5, 6, 7 पर कार्य आरंभ किया गया। वहीं आशियाना, रिद्धि-सिद्धि विहार प्रथम, द्वितीय, तृतीय भी आरंभ कर दी गयी। इसके अतिरिक्त रिद्धि-सिद्धि क्लॉथ मार्केट, रिद्धि-सिद्धि देवकीनंदन मार्केट को भी लाँच किया गया।
करीबन एक दर्जन आवासीय व व्यवसायिक प्रोजेक्ट पर कार्य चल रहा है। इस बात को ध्यान देना आवश्यक है कि मुकेश शाह-सुरेश उर्फ सोहम शाह जो अपनी सफलता का गीत गाते थे उस समय सिर्फ दो कॉलोनियों के प्रबंधन का कार्य ही करना था। अब 10 प्रोजेक्ट और आरंभ हो गये हैं। वहीं चक 2 ई छोटी में भी नयी जमीन की खरीद की गयी है और वहां पर भी कार्य आरंभ कर दिया गया है।
एक दर्जन से ज्यादा प्रोजेक्ट में सड़कें, बिजली, पानी, सीवरेज, हरियाली आदि सहित अनेक क्षेत्रों में कार्य करना है। मुकेश शाह जितने बड़े प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे हैं, उतना बड़ा इलाका श्रीगंगानगर का एक चौथाई हिस्सा हो सकता है। रिद्धि-सिद्धि विष्णु-5 के लिए जो खातेदार के साथ अनुबंध है, वह 10 मुरब्बा से भी अधिक का हो सकता है। वहीं लायलपुर फार्म हाउस में लगभग 15 मुरब्बा जमीन थी, जिसमें दो सौ से ज्यादा बीघा शाह ब्रदर्स अथवा उनके सहयोगियों के नाम पर हो चुकी है।
सैकड़ों बीघा भूमि पर आवासीय योजनाएं आरंभ की जा रही हैं, क्या इनके रख-रखाव के लिए संसाधन जुटा लिये गये हैं? सैकड़ों बीघा में जो प्रोजेक्ट चल रहे हैं, उसकी स्थिति अगर 30 साल पहले के श्रीगंगानगर से की जाये जब सिटी का इलाका भरतनगर से लेकर अग्रसेन नगर तक का था। उस समय भी सरकार ने इन पुरानी आबादी, ब्लॉक एरिया, सेतिया फार्म, प्रेमनगर, जवाहरनगर, अग्रसेन नगर आदि के लिए नगर परिषद का गठन किया हुआ था।
नगर परिषद के पास सफाई कर्मचारी भी थे। स्ट्रीट लाइटों की व्यवस्था देखने वाले तकनीकी कार्मिक की सुविधा भी थी। माली भी नियुक्त हुए थे। अब एक दर्जन प्रोजेक्ट पर जब शाह ब्रदर्स कार्य कर रहे हैं तो उस समय यह सवाल उठना लाजिमी है कि उन्होंने ‘रिद्धि-सिद्धि विकास न्यासÓ की स्थापना कर ली है। वर्तमान कॉलोनियों में सफाई का कार्य भी कॉलोनाइजर को ही करवाना है। लाइटिंग, पानी की व्यवस्था और रख-रखाव का कार्य भी डवल्पर की ही जिम्मेदारी है।
नगर परिषद एक बड़ी संस्था होने के उपरांत भी शहर में स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था का जुगाड़ करने में संकट का सामना करती है।
वहीं सवाल यह है कि इन प्रोजेक्ट को पूर्ण विकसित होने में अगले दो से तीन साल लग जायेंगे। लोग भूखण्ड खरीद करेंगे। अभी तो निवेशक ही माहौल बनाये हुए हैं। जब भूखण्ड खरीददार आयेेंगे। कॉलोनियां आबाद होना आरंभ होंगी। उस समय क्या इतनी कॉलोनियों में प्रत्येक माह सिर्फ स्ट्रीट लाइट का ही लाखों का बिल नहीं आयेगा। इस तरह के भार को कम करने के लिए सरकार किसी अन्य पदार्थ पर सेस लगाकर पूर्ति कर लेती है तो क्या शाह ब्रदर्स पानी और बिजली के बिलों को भरने के लिए भूखण्ड खरीददारों पर सेस लगायेंगे।