द भिंडरावाला फाइल्स : इतिहास को दोरहा रहा है अमृतपाल

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  1. ‘वारिस पंजाब देÓ संगठन से जुड़े हजारों-जो हथियार उठाना सीख गये हैं
    खालिस्तानी नेता का सोशल एकाउंट ब्लॉक
    पुलिस महानिदेशक ने थानाधिकारियों तक से किया सीधा संवाद.

अमृतसर (टीएसएन)। खालिस्तान की मांग को लेकर संत से लेकर कट्टरपंथियों में जरनैल की उपाधि हासिल करने वाले भिंडरावाला ने तत्कालीन शासन, प्रशासन, पुलिस और हिन्दुओं में जो भय पैदा करने के लिए प्रयास किये थे, उसी इतिहास और विचारधारा को अब अमृतसिंह फैलाना चाहता है। हजारों लोगों की उसने निजी फौज बना ली है जो मरना और मारना जानती है। हथियार उठाने में उनको कोई परेशानी नजर नहीं आ रही है। केन्द्र सरकार की एजेंसियां हालात पर नजर रखने का दावा कर रही हैं।

पंजाब : अब अमृतपाल सिंह का कानून चलेगा!
संत जरनैलसिंह भिंडरावाला ने 80 के दशक में आम लोगों में दहशत का माहौल पैदा करने के लिए धर्म की ओट ली थी। उपदेशक बनकर उसने लोगों को अपने साथ जोड़ा और ऐसी निजी फौज तैयार की जिसने भारतीय सैनिकों के साथ सीधा मुकाबला किया। उस दौर को जब याद किया जाता है तो उस दौर के सभी धर्मों के लोगों में सिरहन दौड़ जाती हैं। रोजाना कत्लेआम की खबरें सुर्खियां हुआ करती थीं।

इंसान से शैतान बन गया, गला काटकर शव नहर में फेंका

भिंडरावाला फाइल्स पर नजर डाली जाये तो सामने आता है कि उस दौर में पत्रकारिता तथा ऑपरेशन ब्ल्यूस्टार में शामिल सेना के अधिकारी यह मानते हैं कि भिंडरावाला को अगर राजनीतिक संरक्षण नहीं मिला होता तो वह कभी भी इतना बड़ा खतरा नहीं बनता। वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर ने अनेक सार्वजनिक मंचों तथा अपनी पुस्तक में लिखा है कि संजय गांधी ने पंजाब में अकाली दल का सामना करने के लिए कुछ लोगों का इंटरव्यू भी लिया था, जिसमें भिंडरावाला भी शामिल थे। भिंडरावाला की डॉयलॉग डिलीवरी और उसका व्यक्तिगत व्यवहार देखकर संजय गांधी को विश्वास था कि यह संत अकाली दल का मुकाबला कर सकता है और वर्ष 1980 के चुनावों में भिंडरावाला ने कांग्रेस के लिए प्रचार भी किया था।

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इससे पहले 1978 को बैसाखी के दिन निरंकारियों के साथ हुई हिंसक झड़प के उपरांत भिंडरावाला को एक विशेष वर्ग के लोगों में लोकप्रिय बना दिया था। वहीं भिंडरावाला की हिंसक घटनाओं के खिलाफ लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार लाला जगतनारायण चोपड़ा की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी। संत जरनैलसिंह भिंडरावाला पर इसका आरोप भी लगा और उसको गिरफ्तार भी किया गया। तत्कालीन गृह मंत्री ज्ञानी जैल सिंह ने उसकी रिहाई की घोषणा संसद में की। एक माह बाद ही भिंडरावाला जेल से बाहर आ गया था। यहीं से उसको ऐसा नशा हुआ कि वह खालिस्तान की खुलेआम मांग करने लगा और उसकी मुखालफत करने वालों की हत्या होने लगी। लाला जगतनारायण के बाद उनके पुत्र रमेश चोपड़ा की भी उसी तरह से हत्या कर दी गयी।
पंजाब पुलिस के पूर्व महानिदेशक केपीएस गिल ने एक बयान में कहा था कि डीआईजी एएस अटवाल की दरबार साहिब के नजदीक गोली मारकर हत्या की गयी तो उस समय 200 पुलिसकर्मी घटनास्थल के नजदीक थे किंतु किसी का साहस नहीं हुआ था कि वह अपने अधिकारी का शव उठा सकें। 100 से ज्यादा पुलिस कर्मचारियों के पास हथियार थे। इस तरह की घटनाओं से भिंडरावाला ने अपने नाम की दहशत आम पंजाबवासियों में पैदा कर दी थी और उनके खिलाफ बोलने का साहस कोई जुटा नहीं पा रहा था।
‘वारिस पंजाब देÓ नामक संगठन के अध्यक्ष अमृतपाल सिंह ने उसी इतिहास को दोहराने की कोशिशें आरंभ कर दी हैं। सुधीर सूरी नामक हिन्दू नेता की हत्या में अमृतपालसिंह का नाम सामने आया था। वह शिवसेना टकसाली तथा काली सेना पंजाब के संयोजक थे। वे देवी-देवताओं की होने वाली बेअदबी के खिलाफ जमकर अपने बयान दे रहे थे। कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ भी उन्होंने बयान दिये थे। उनको पुलिस सुरक्षा दी गयी थी और पुलिस सुरक्षा के बीच में उनको गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया।
सूरी के परिजनों तथा समर्थकों ने अमृतपालसिंह का नाम इस हत्या की साजिश में लिया था किंतु पुलिस ने उसको कुछ समय के लिए नजरबंद करने के अलावा कुछ नहीं किया। अमृतपाल सिंह ने इसके बाद पुलिस में दहशत पैदा करने के लिए अजनाला पुलिस थाना पर कब्जा कर लिया। उनके हजारों समर्थक तलवारों के साथ थे। हालांकि पंजाब पुलिस अपनी असफलता के लिए कुछ और कारण बता रही हो लेकिन जो विजुअल मीडिया के माध्मय से सामने आये, उसमें साफ देखा गया कि अमृतपाल के समर्थकों से बचने के लिए पुलिस कार्मिक भागने का रास्ता देख रहे थे। अमृतपाल ने थाना पर कब्जा किया और चेतावनी भी दी कि 24 घंटे में उसके समर्थक लवली सिंह तूफान को रिहा किया जाये। उसकी यह मांग पुलिस ने उसके शब्दों के आधार पर ही पूरी कर दी और यह बयान जारी कर दिया कि जो एवीडेंस दिये गये थे, उससे तूफान निर्दोष साबित होता है। एवीडेंस को पुलिस ने सार्वजनिक नहीं किया। अगले दिन अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया और अदालत ने भी उसी दिन सुनवाई करते हुए तूफान को रिहा करने के आदेश दे दिये। जेल प्रशासन ने भी कुछ समय के भीतर ऑर्डर के आधार पर लवली सिंह को रिहा कर दिया।
आज भले ही भिंडरावाला की तरह अमृतपालसिंह के पास लाखों नहीं बल्कि हजारों समर्थक हों लेकिन जिस तरह से उसने अपना समांतर प्रशासन-शासन चलाने का कार्य आरंभ किया है, संभव है कि आने वाले कुछ माह के भीतर ही वह निर्वाचित सरकार को अपंग बनाकर अपनी हकुुमूत चलाने लगे। हिन्दुओं में फिर से वही भय और तनाव नजर आये जो 40 साल पहले पनपा था। पंजाब के सबसे बड़े हिन्दू नेता की हत्या के उपरांत उस सिलसिले की शुरुआत हो चुकी है।
डीजीपी अब डैमेज कंट्रोल में जुटे
पंजाब पुलिस के मुखिया गौरव यादव शनिवार को डैमेज कंट्रोल में जुटे हुए नजर आये। पुलिस कार्मिकों में उत्साह का संचार करने के लिए उन्होंने थानाधिकारी स्तर तक वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये भाग लिया। इस बैठक में सभी एसएसपी, डीआईजी, आईजी और अन्य अधिकारी भी शामिल थे। डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीजीपी) ने अधिकारियों को पेशेवर ढंग से काम करने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कानून तोडऩे वालों के विरुद्ध सख़्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। डीजीपी ने संगठित अपराध, नशा तस्करी और आतंकवाद के विरुद्ध ज़मीनी स्तर की कार्यवाही की समीक्षा की। श्री यादव ने ज़मीनी स्तर पर बुनियादी पुलिसिंग को सुनिश्चित बनाने के आदेश दिए। उन्होंने यह भी हिदायत की कि मैनपावर बढ़ाने के लिए जि़लों में तैनात कुल पुलिस फोर्स का कम से कम 50 फीसदी कर्मचारी पुलिस थानों में तैनात किए जाएं। उन्होंने थानाधिकारियों को अपने अधिकार क्षेत्र में असामाजिक तत्वों के आपराधिक रिकॉर्ड खोलने और घृणित अपराधों की निजी तौर पर जांच करने के लिए भी कहा। सार्वजनिक स्थानों के लिए अधिक से अधिक सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने के लिए भी कहा।
अमृतपाल का इंस्टाग्राम एकाउंट ब्लॉक
केन्द्र सरकार की तरफ से कहा गया है कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए है और अभी सीधा हस्ताक्षेप नहीं करेगी। पंजाब सरकार की स्टेटस रिपोर्ट पर आगामी निर्णय होगा। वहीं केन्द्र सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अमृतपाल सिंह का इंस्टाग्राम बंद करवा दिया है। इससे पहले ट्वीटर एकाउंट को भी बंद करवाया जा चुका है। ट्वीटर पर 11 हजार से अधिक फॉलोअर थे।
अकाल तख्त ने सब कमेटी का किया गठन
पंजाब के अमृतसर में वारिस पंजाब दे के जत्थेदार अमृतपाल सिंह के श्री गुरु ग्रंथ साहिब को पुलिस स्टेशन तक ले जाने के मामले पर हर राजनीतिक पार्टी ने सवाल खड़े किए हैं। जिसके बाद अब श्री अकाल तख्त साहिब ने भी इस मसले पर विचार करने के लिए सब-कमेटी का गठन कर दिया है। श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने प्रेस नोट जारी करते हुए कहा कि रोष प्रदर्शन, धरनों और कब्जे वाले स्थानों, जहां श्री गुरु ग्रंथ साहिब के के प्रकाश करने से मान-सम्मान को ठेस पहुंचने डर हो, पर विचार करने के लिए सब कमेटी का गठन किया गया है। यह सब कमेटी सिख संप्रदाय, सिख संगठनों और सिख विद्वानों के विचारों के आधार पर गठित की गई है। यह कमेटी 15 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट श्री अकाल तख्त साहिब में भेजेगी। जिस पर विचार करके पांच साहिब अपना अंतिम फैसला लेंगे।
कांग्रेस ने इंटेलीजेंस फेलियर बताया
कांग्रेस के छत्तीसगढ़ में चल रहे अधिवेशन के दौरान भी अजनाला की घटना का मामला उठा। पंजाब नेता खुजिंदर रंधावा ने अजनाला की घटना को इंटेलिजेंस फेलियर बताया। उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री को इस घटना की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। वहीं राजा वडिंग ने कहा कि उन्होंने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर लाइसेंस प्रणाली पर विचार करने के लिए कहा था। इसके बाद भी अमृतपाल के समर्थकों को हथियार लाइसेंस जारी हुए।
मुख्यमंत्री मान ने ट्वीट किया
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने दो दिन बाद अजनाला घटना पर पहला वक्तव्य दिया है वह भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, अजनाला में हुई हरकत को करने वाला पंजाब और पंजाबियत का ‘वारिसÓ नहीं हो सकता।
अमृतपालसिंह ने डीजीपी को दी नसीहत
पंजाब के अमृतसर में अजनाला पुलिस थाने पर कब्जे की हुई घटना के 24 घंटे के बाद डीजीपी गौरव यादव ने इंक्वायरी कर एक्शन की बात कही है। जिस पर वारिस पंजाब दे के जत्थेदार अमृतपाल ने एक बार फिर पुलिस महानिदेशक को ऐसी घटना दोबारा होने की धमकी दे दी है। इतना ही नहीं, डीजीपी को यह मामला यही क्लोज करने की नसीहत भी दे दी। डीजीपी के कार्रवाई करने के बयान पर अमृतपाल सिंह भड़क गया। अमृतपाल ने कहा कि कार्रवाई किस बात की करनी है। एक इनोसेंट बंदा जेल में डाल रखा था, उसे छुड़ाया गया है। उस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, कार्रवाई किस पर करनी है। डीजीपी को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए।

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