श्रीगंगानगर (टीएसएन)। श्रीगंगानगर जिले में प्रत्येक बुधवार को गंगनहर रेग्युलेशन कमेटी की बैठक होती है और किसान भारी हंगामा करते हैं। रेग्युलेशन कमेटी की बैठक के अनुसार पानी का वितरण ही नहीं होता। सिस्टम ऑनलाइन होने के उपरांत भी पानी की बारियां खाली चली जाती हैं। किसान जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता और अन्य के खिलाफ प्रदर्शन करते हैं। अधिकारी भरपाई का आश्वासन देकर उनको शांत करने का प्रयास करते हैं। पिछले दिनों तो अधीक्षण अभियंता किसानों के हंगामे के कारण बैठक में ही शामिल नहीं हुए। किसानों ने सड़क को जाम कर दिया।
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किसानों को पर्याप्त सिंचाई पानी का वितरण करने के लिए जल संसाधन विभाग बनाया गया है और उसमें विभिन्न पदों पर अधिकारी व कर्मचारी नियुक्त किये गये हैं। इनका दायित्व नहरों को रेग्युलेशन के अनुसार चलाना और सभी किसानों को पानी मिले, इसकी निगरानी का है। नहरों के रख-रखाव और उनकी मरम्मत की जिम्मेदारी भी इसी विभाग के अधीक्षण अभियंता की है।
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अधीक्षण अभियंता जिलास्तर के अधिकारी होते हैं, इस कारण उनको सुख-सुविधा भी सरकार प्रदान करती है। उनको सरकारी वाहन उपलब्ध करवाया जाता है और सरकारी बंगला भी दिया जाता है। राजस्थान में श्रीगंगानगर जिला ही लगभग पूर्ण सिंचित क्षेत्र है। अन्य जिलों की अनेक तहसीलों में बारानी जैसे हालात हैं। श्रीगंगानगर जिले में कोई तहसील क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं हो। कुछ मुरब्बा या चक अवश्य बारानी इलाके हैं।
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राज्य सरकार ने जल संसाधन विभाग को प्राथमिकता दी हुई है और जिले में सबसे अधिक बजट भी जल संसाधन विभाग को ही प्राप्त होता है। पीडब्ल्यूडी, नगर विकास न्यास से भी ज्यादा बजट इसी विभाग को प्राप्त होता है। नहरबंदी कर प्रत्येक वर्ष सैकड़ों करोड़ रुपये के कार्य करवाने के लिए फंड दिया जाता है। इसके उपरांत भी किसानों को आंदोलन, धरना-प्रदर्शन करना पड़ता है।
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