यूक्रेन विवाद : अमेरिका-रूस के बीच तनाव बढ़ने से आर्थिक हालात भी होंगे प्रभावित
सोवियत संघ का कभी हिस्सा रहे और वर्तमान में यूरोपीय देशों के सबसे नजदीकी रिश्ते रखने वाले यूक्रेन ने अपने सैनिकों की क्षमता को बढ़ाने का निर्णय लिया है। संवाद सेवा रॉयटर के अनुसार इस समय यूक्रेन के पास करीबन अढ़ाई लाख सैनिक हैं
वाशिंगटन/मास्को। पश्चिमी देश रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन को अडोल्फ हिटलर की तरह पेश कर रहे हैं। हिटलर ने विशाल जर्मन की कल्पना करते हुए पौलेंड पर हमला कर दिया था और उसके समर्थन में ब्रिटेन, फ्रांस की सेनाएं आ गयी थी और इसके उपरांत विश्वभर में दुनिया दो भागों में बंट गयी।
नाटो सेना हाल ही में सीरिया, अफगानिस्तान से बाहर लौट गयी हैं। अमेरिका जिस तालिबान नामक संगठन को आतंकवादी मानता रहा है और अल कायदा का सहयोगी, उसको पनाहगार मानता रहा है, उसके हाथों में पुन: अफगान की सत्ता चले जाना भी संयुक्त राज्य के लिए महत्वपूर्ण नहीं रहा है।
दूसरे विश्वयुद्ध का गुनाहगार तत्कालीन जर्मन शासक हिटलर को माना जाता है। इतिहास में पढ़ाया जाता है कि हिटलर के आदेश पर सेना ने पौलेंड पर हमला कर दिया था और उसके समर्थन का एलान करने वाले ब्रिटेन व फ्रांस ने जर्मन के खिलाफ संघर्ष आरंभ कर दिया था। अब उसी तरह से यूक्रेन को एक ऐसा देश दिखाया जा रहा है जो कमजोर है और रूस उस पर आक्रमण कर सकता है। अमेरिका-ब्रिटेन बार-बार उसको पूर्ण समर्थन देने का एलान कर रहे हैं और विदेश मंत्री एंटनी जे ब्लिंकन कनाडा, इजरायल सहित कई नेताओं से वार्ता कर रूस-यूक्रेन मुद्दे पर चर्चा कर चुके हैं। वे यूरोपीय देशों के साथ भी सम्पर्क में हैं।
अमेरिका के पड़ोसी देश वेनेजुएला में वर्तमान सरकार को अमेरिका मान्यता नहीं देता है। इस कारण वेनेजुएला से एक प्रकार से रिश्तों को समाप्त कर दिया गया है। उस तरह के हालात में वहां रूस की सेना ने मोर्चा संभाला हुआ है। अमेरिका ने अपने सहयोगी संगठन नाटो की सेना को रूस के बॉर्डर के नजदीक यूक्रेन में तैनात कर दिया है। इस तरह से विश्व को युद्ध का माहौल दिखाया जा रहा है।
ViaSatish Beri
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