जेलेंस्की ने कहा, मार्टिन लूथर के “आइ हैव ए ड्रीम” को याद कीजिये

हवाई सुरक्षा के लिए अमेरिकी संसद को संबोधित किया, बाइडेन ने अतिरिक्त सैन्य उपकरण की घोषणा की

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वाशिंगटन। अमेरिकी संसद को लाइव स्ट्रीमिंग के जरिये संबोधित करते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति बलोदीमिर जेलेंस्की ने अमेरिकियों से मार्टिन लूथर किंग जूनियर के उस संबोधन को याद करने को कहा जिसमें 1963 में “आई हैव ए ड्रीम” का नारा दिया था। अलकायदा की 9/11 की घटना का भी स्मरण करते हुए कहा कि इस तरह के हालात से उनके देश के हजारों-लाखों लोग रोजाना सामना कर रहे हैं। यूक्रेन के लोगों को अमेरिका की मदद की दरकरार है।

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जेलेंस्की इससे पहले ब्रिटेन, कनाडा की संसद को भी संबोधित कर चुके हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने आह्वान किया कि जोसेफ आर बाइडेन दुनिया में एक शांति स्थापित करने वाले नेता के रूप में सामने आयें।

समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका को रूसी सांसदों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और रूस से आयात रोक देना चाहिए। साथ ही,उन्होंने अपने देश में युद्ध से हुई तबाही और विनाश का एक मार्मिक वीडियो सांसदों से खचाखच भरे एक सभागार में दिखाया।

जेलेंस्की ने कहा, ‘‘हमे अब आपकी जरूरत है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं आपसे और अधिक (मदद करने) की अपील करता हूं। ’’

उन्होंने रूसियों पर और अधिक आर्थिक प्रतिबंध लगाने की अपील करते हुए कहा, ‘‘आय से कहीं अधिक महत्वपूर्ण शांति है। ’’

उनके संबोधन के पहले और बाद में सांसदों ने अपनी सीट पर खड़े होकर उनका अभिनंदन किया।

न्यूज एजेंसी एपी ने बताया कि अमेरिका यूक्रेन को 80 करोड़ डॉलर की सुरक्षा सहायता की घोषणा कर सकता है। पिछले हफ्ते घोषित की गई कुल राशि बढ़ कर एक अरब डॉलर हो जाएगी। अधिकारी ने बताया कि इसमें बख्तरबंद रोधी और वायु-रक्षा हथियारों के लिए धन शामिल हैं। उन्होंने रूस के लिए नो फ्लाई जोन के लिए मदद मांगी।
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन पहले ही कह चुके हैं कि अमेरिका-नाटो इस युद्ध में सीधा शामिल नहीं होगा, क्योंकि दोनों सेनाओं के आमने-सामने होने का अर्थ होगा तीसरा विश्व युद्ध।

युक्रेन युद्ध : दुनिया सिर्फ तमाशबीन बनकर रह गयी
अगर यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि को देखा जाये तो राष्ट्रपति जेलेंस्की का बाइडेन प्रशासन और यूरोपीय संघ पर अत्यधिक विश्वास सबसे बड़ा कारण नजर आता है। युद्ध आरंभ होने की आहट करीबन 6 माह पहले ही विश्व को मिल गयी थी। रूसी राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ आर बाइडेन के बीच सीधी बातचीत भी इस मुद्दे पर हुई थी। उस समय अधिकारिक तौर पर दोनों देशों ने सहयोग बढ़ाने और आपसी बातचीत को जारी रखने पर सहमति जताई थी किंतु मीडिया के एक धडे़ की तरफ से आवाज बाहर आयी थी कि राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेन को यूरोपीय संघ और नाटो सदस्यता से दूर रखने की मांग रखी थी और बाइडेन प्रशासन इस पर सहमत नहीं हुआ था।
तनाव के बीच भी दोनों देशों के विदेश मंत्री भी मिले। रूस का मानना है कि अगर यूक्रेन को नाटो की सदस्यता हासिल हो जाती है तो इसका अर्थ होगा रूस की सुरक्षा को खतरा।

रूस की मैदानी व जल सीमा चीन, मध्य एशिया, जापान, कनाडा आदि देशों से मिलती है।

रशिया और अमेरिका, यूरोपीय देशों के नेता मिल रहे थे किंतु यूक्रेन की जनता को नहीं बताया जा रहा था कि अगर युद्ध हुआ तो तीसरे वर्ल्ड वॉर के भय से नाटो, यूरोपीय या अमेरिकी देश उसकी मदद नहीं कर पायेंगे। उनको अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी।

करीबन 20 दिन पहले रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया तो उस समय जेलेंस्की को यह अनुभव हो रहा था कि अमेरिका, नाटो और यूरोपीय देश उसकी मदद के लिए आगे आयेंगे।

दुनिया के ताकतवर देश और करीबन 8 अरब की दुनिया सिर्फ तमाशबीन बनकर रह गयी है। पहले सप्ताह तो समाचारों की दुनिया में भी यूक्रेन-रूस युद्ध प्रमुख मुद्दा था किंतु जैसे-जैसे समय व्यतीत हो रहा है, युद्ध से संबंधित समाचार छोटे होते जा रहे हैं या उनको कहीं फिट किया जा रहा है।
इस युद्ध के समाचारों को लेकर दुनिया भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही।
यूक्रेन के विभिन्न शहरों से करीबन 30 लाख लोग बेघर हो चुके हैं और यूएन के राहत शिविरों में ठहरे हुए हैं। 10 लाख और लोगों के बेघर होने की संभावना जतायी जा रही है।

युद्ध के 20 दिनों के उपरांत हालात देखें तो यूरोपियन यूनियन के नेताओं से जेलेंस्की सीधे अपील कर चुके हैं।

अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन की संसद को वे संबोधित कर चुके हैं। किसी भी देश ने युद्ध में साथ देना तो दूर, मध्यस्थता के लिए भी प्रयास नहीं किये हैं।

ऐसा कोई समाचार नहीं आया है कि अमेरिका, यूरोपीय देश रूसी नेताओं से वार्ता करना चाहते हैं। वे यूक्रेन को बर्बाद होता देख रहे हैं और कागजों पर रोजाना नये आदेश के लिए हस्ताक्षर हो जाते हैं।

जेलेंस्की भी इस पर अब मुखर हो रहे हैं और कह रहे हैं कि धन से ज्यादा शांति की आवश्यकता है। उनका अर्थ दो प्रकार से है। पहला आर्थिक प्रतिबंधों के भय से रूस पीछे हटने वाला नहीं है और उनके देश को आर्थिक के साथ-साथ सैन्य बल की भी आवश्यकता है ताकि वह अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा कर सके। देश में शांति स्थापित हो सके। वहीं आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रूस की 14 करोड़ से ज्यादा जनता पर आर्थिक रूप से प्रभाव पड़ेगा। बेरोजगारी बढ़ेगी। पलायन ज्यादा होगा तो उस समय विश्व के लिए एक नयी चुनौती नहीं होगी?
युद्ध के कारण वर्तमान में यूक्रेन में जो हालात हैं, युद्ध समाप्त होने के उपरांत भी वहां विदेशी निवेशकों का भरोसा पुन: नहीं स्थापित हो पायेगा। वहां पर आधारभूत ढांचा तैयार करने के लिए कई लाख करोड़ रुपयों की आवश्यकता होगी, वह मदद कहां से आयेगी। यूक्रेन तो पहले ही आर्थिक तंगी का सामना कर रहा था।
विश्व की प्रमुख वित्तीय एजेंसियां अगर लोन भी देती हैं तो ब्याज, मूल धन लौटाने के लिए जनता पर और अधिक टैक्स लगाने होंगे। जनता जो पहले ही अपना घर, बिजनेस छोड़कर शरणार्थी शिविरों में रहने को मजबूर है, क्या वे उस स्थिति में होंगे कि वे सरकार के नये टैक्स को बर्दाश्त कर सकें? महंगाई की मार को सह सकें?
यूरोप और रूस एक दूसरे के पूरक
युद्ध के कारण रूस से विश्व को निर्यात होने वाला पेट्रोल-गैस सौदे प्रभावित हो रहे हैं और इसका असर यह है कि दुनिया भर में तेल की कीमतों में इजाफा हो चुका है। समाचार एजेंसी रॉयटर ने बताया कि सउदी अरब तथा यूएई ने अधिक कच्चे तेल के लिए पश्चिमी कॉलों को खारिज कर दिया है और रूस और अन्य के साथ ओपेक + आपूर्ति समझौते पर अड़े हुए हैं।
सबसे बड़ी समस्या यूरोपीय लोगों को नाश्ते के लिए ब्रेड तलाशने की होगी। यह आवश्यकता उनकी अब तक यूक्रेन अथवा रूस से पूरी होती रही हैं। यूक्रेन में युद्ध के हालात हैं। रूस पर प्रतिबंध है। ऐसे में अनाज के लिए उनको ऑस्ट्रेलिया, भारत की तरफ देखना होगा। ऐसे में आने वाले दिनों में गेहूं के दामों में भारी बढ़ोतरी की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।
वार्ता के प्रयास जारी
वहीं यूक्रेन और रूस के बीच वार्ता का दौर भी जारी है। जेलेंस्की के नाटो और यूरोपियन यूनियन में शामिल होने की अपनी महत्वकांक्षा को तिलांजली देने की बात भी मीडिया के माध्यम से दुनिया के सामने आयी है। यूएन भी मध्यस्थता के लिए सामने नहीं आया है। धार्मिक गुरु पोप फ्रांसिस से भी यूक्रेनी नेता अपील कर चुके हैं कि वे शांति के लिए प्रार्थना करें।
दुसरी ओर न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट दी है, यूक्रेन के दक्षिण पूर्व में स्थित शहर मेलितोपोल के महापौर को रूस की सेना ने पांच दिन तक बंधक बनाकर रखने के बाद मुक्त कर दिया है। यूक्रेन के एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
देर रात को व्हाइट हाउस से सूचना दी गयी कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के खिलाफ अमेरिका, यूक्रेन को उसकी रक्षा में सहायता के लिए और अधिक विमान-रोधी वाहन, हथियार और ड्रोन भेज रहा है।
बाइडन ने कहा, ‘‘हम यूक्रेन को आगे आने वाले सभी कठिन दिनों में लड़ने और अपनी रक्षा करने के लिए हथियार देने जा रहे हैं।’’
उधर रूस ने अमेरिकी प्रतिबंधों के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति जोसेफ आर बाइडेन, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के अपने देश में प्रवेश पर रोक लगा दी है।
ब्रिटेन की प्रमुख संवाद सेवा बीबीसी की वेबसाइट को भी बैन कर दिया गया है। इस तरह से रूस आने वाले दिनों में यूरोपीय और अमेरिकी लोगों के परस्पर विरोधात्मक कार्यवाही कर सकता है।
सउदी ने अतिरिक्त उत्पादन पर सहमति नहीं दी
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच में यूरोपीय और अमेरिकी देशों के आग्रह के उपरांत भी सउदी अरब ने अभी तक अतिरिक्त उत्पादन पर अपनी सहमति नहीं दी है।

 

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VIASandhyadeep Team
SOURCENews Agency
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